लखनऊ पुलिस ने झूठा केस दर्ज कर बर्बाद किया IAS की तैयारी कर रहे दलित युवक आशीष का जीवन,सुसाइड नोट में बड़ा खुलासा !
लखनऊ पुलिस ने झूठा केस दर्ज कर बर्बाद किया IAS की तैयारी कर रहे दलित युवक आशीष का जीवन,सुसाइड नोट में बड़ा खुलासा !
यूपी की राजधानी लखनऊ में सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे 22 साल के दलित युवक आशीष ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए आत्महत्या कर ली। अपने पीछे छोड़े सुसाइड नोट में आशीष ने लिखा है, ‘नंदू विश्वकर्मा, अरविंद, श्याम किशोर ने साजिश रचकर हम दोनों भाई- आशीष कुमार, मनीष उर्फ मयंक पर अपने मजदूरों के जरिये झूठा केस दर्ज कराया है।
रहीमाबाद थाने के दरोगा राजमणि पाल, लल्लन प्रसाद पाल व सिपाही मोहित शर्मा ने मिलकर झूठी एफआईआर दर्ज की। हमने इनसे कहा कि हमारे घर पर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। उनको चेक कर लो। धोखे से हम भाइयों को थाने पर बुलाकर सादे कागज व आधार कार्ड पर दस्तखत करा लिए…। मैं खुदकुशी करने जा रहा हूं। रहीमाबाद थाना पूरा भ्रष्ट है…।
जानकारी के मुताबिक सुशीला के मुताबिक 8 दिसंबर 2018 को आशीष अपने पिता महादेव के साथ नंदू विश्वकर्मा की दुकान पर ट्रॉली खरीदने गया था, जहां किसी बात पर नंदू से उनकी कहासुनी हो गई। इस पर नंदू के मजदूरों ने आशीष के सिर पर सरिया मार दी थी जिससे वह मौके पर ही घायल हो गया। बेटे के घायल होने के बाद आशीष के पिता महादेव ने आशीष को लहुूलूहान करने वाले नंदू और उसके वहां काम करने वाले मजदूरों पर लखनऊ के माल थाने में केस दर्ज करा दिया। इसी मुकदमे में समझौते के लिए नंदू लगातार आशीष और उसके पिता पर दबाव डालने लगा।
मृतक छात्र आशीष की मां सुशीला का आरोप है कि दरोगा राजमणि पाल, लल्लन प्रसाद पाल और सिपाही मोहित शर्मा ने उनके बेटों आशीष और मयंक पर दर्ज केस में अंतिम रिपोर्ट लगाने की बात कहकर 50 हजार रुपये मांगे। आश्वासन दिया कि जैसे ही पैसे मिल जायेंगे, इस मुकदमे को खत्म करा दूंगा। सुशीला कहती हैं, हम 20 हजार रुपया देने को तैयार भी थे, मगर पुलिसवाले 50 हजार से एक टका कम लेने पर तैयार नहीं थे। जब आशीष और उसके परिवार ने 50 हजार रुपये न दे पाने की बात कही तो पुलिस धमकी देने लगी और आरोपी नंदू विश्वकर्मा के साथ मिलकर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी।
चूंकि आशीष आईएएस की तैयारी कर रहा था इसलिए पुलिस चार्जशीट में नाम आने के बाद से वह तनाव में रहने लगा। चार्जशीट में नाम आने से उसे परीक्षा पास करने के बाद नौकरी मिलने में दिक्कत आती, जिसके कारण वह डिप्रेशन में चला गया।आशीष कमरे में अकेले बैठकर रोता रहता था आशीष ने दो पन्नों के सुसाइड नोट में लिखा है, ‘नंदू विश्वकर्मा, अरविंद, श्याम किशोर ने साजिश रचकर हम दोनों भाई- आशीष कुमार, मनीष उर्फ मयंक पर अपने मजदूरों के जरिये झूठा केस दर्ज कराया है।