उत्तरप्रदेश

नमामि गंगे प्रोजेक्ट के चीफ ने कबूली सच्चाई नाइजीरिया की नहीं थी तस्वीरें, गंगा नदी में ही बहाईं गयी लाशें !

नमामि गंगे प्रोजेक्ट के चीफ ने कबूली सच्चाई नाइजीरिया की नहीं थी तस्वीरें, गंगा नदी में ही बहाईं गयी लाशें !

गुरुवार को एक किताब लॉन्च हुई इस किताब का शीर्षक है- गंगा: रीइमेजिनिंग, रिजुवेनेटिंग, रीकनेक्टिंग. इस किताब के लेखक हैं राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक और नमामि गंगे के प्रमुख राजीव रंजन मिश्रा और एनएमसीजी के साथ काम कर चुके आईडीएएस अधिकारी पुस्कल उपाध्याय !

बता दें कि पिछले साल उत्तर प्रदेश और बिहार से गंगा में बहती लाशों की तस्वीरें वायरल हुई थी हालांकि सरकार ने इन दावों को खारिज कर दिया था.
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेसके मुताबिक किताब के एक चैप्टर में गंगा पर कोरोन महामारी के प्रभाव को बताते हुए लिखा है, ‘जैसे-जैसे कोविड -19 महामारी के चलते शवों की संख्या बढ़ी अंतिम संस्कार करने के लिए जगह का दायरा भी बढ़ता गया. यूपी और बिहार के श्मशान घाटों पर जलती चिताओं के बीच, गंगा नदी शवों के लिए एक ‘आसान डंपिंग ग्राउंड’ बन गई.’ जिलों द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों का हवाला देते हुए लिखा गया है कि 300 से ज्यादा शव नदी में नहीं फेंके गए थे जैसा कि 1000 शवों को बहाने की बात कही गई थी.

 

 

इसी मुद्दे को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने एक ट्वीट कर केंद्र की मोदी और राज्य की योगी सरकार के झूट पर सवाल खड़े किया है और लिखा है “गंगा की लहरों में कोविड मृतकों के दर्द का सत्य बह रहा है जिसे छुपाना संभव नहीं।

पीड़ित परिवारों को हरजाना देना न्याय की तरफ़ पहला कदम होगा।

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