मजदूर दिवस और केंद्र की मोदी सरकार का रिपोर्ट कार्ड -मनरेगा मजदूरों को नहीं मिलती पर्याप्त मजदूरी, आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर !
एक मई को मजदूर दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य मजदूरों की भलाई के लिए काम करना व मजदूरों में उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता लाना होता है। लेकिन, अभी कहीं ऐसा हो नहीं पाया है। मनरेगा मजदूरों को आठ घंटे की कड़ी मेहनत के बाद महज 237 रुपये प्रति दिहाड़ी के हिसाब से भुगतान किया जा रहा है।
रामपुर जनपद में लगभग डेढ़ लाख मनरेगा मजदूर हैं। जोकि, एक दहाड़ी को दो शिफ्टों में पूरा करते हैं। अब मजदूर दिवस महज रस्म बनकर रह गया है। मनरेगा मजदूरों के अप्रैल 2024 में सात रुपये प्रति मजदूरी बढ़ाए गए हैं।
मजदूरों के लिए सरकार तमाम योजनाएं बनाती हैं। लेकिन, अधिकतर फाइलों में ही दम तोड़ देती हैं। कई मजदूरों को यह भी नहीं मालूम है कि एक मई को मजदूर दिवस मनाया जाता है। मजदूर आज भी सबसे अधिक बदहाल स्थिति में है। सरकार मजदूरों के हित के लिए बातें तो बहुत बड़ी-बड़ी करती हैं मगर जब उनकी भलाई के लिए कुछ करने का समय आता है तो पीछे हट जाती है। इसीलिए मजदूरों की स्थिति में सुधार नहीं हो पाता है।