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हिमाचल चुनाव: बीजेपी के गले की हड्डी बनी पुरानी पेंशन स्कीम और बागियों के तेवर ! भाजपा के लिए सत्ता में वापसी का लक्ष्य और साख दांव पर !

हिमाचल चुनाव: बीजेपी के गले की हड्डी बनी पुरानी पेंशन स्कीम और बागियों के तेवर ! भाजपा के लिए सत्ता में वापसी का लक्ष्य और साख दांव पर !

पहले राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार और बाद में छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने जब सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम दोबारा चालू करने की घोषणा की, बीजेपी तब से ही इस मुद्दे पर घिरती रही है। यूपी और उत्तराखंड के चुनावों में तो यह मुद्दा किसी तरह दबा रहा, लेकिन हिमाचल और गुजरात में भी यह बीजेपी को परेशान कर रहा है।

बीजेपी के गले की हड्डी बनी पुरानी पेंशन स्कीम

पुरानी पेंशन स्कीम का फायदा फिलवक्त 90,000 सरकारी कर्मचारियों को मिल रहा है, लेकिन 1.5 लाख कर्मचारी ऐसे हैं जो नई पेंशन स्कीम के दायरे में हैं। पुरानी पेंशन स्कीम का मुद्दा इतना गर्म है कि अब बीजेपी की हर सभा में यह बात कही जा रही है कि सिर्फ वही इसे लागू कर सकती है। यही नहीं, हिमाचल में नशाखोरी बढ़ते जाने की शिकायतें आम होती गई हैं और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह तक इस पर अंकुश लगाने का वादा कर रहे हैं।

वैसे, बीजेपी के लिए एक बड़ी दिक्कत बागियों का मैदान में होना है। बगावत तो कांग्रेस में भी हुई थी लेकिन वरिष्ठ नेताओं के हस्तक्षेप से वह अंततः सीमित हो गई। लेकिन, बीजेपी में इसके सुर कुछ ज्यादा ही बिगड़े हुए दिख रहे हैं।

 

 

21 विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी प्रत्याशियों के विरोध में बागियों ने भी नामांकन भर दिए। बीजेपीके बड़े नेताओं के हस्तक्षेप के बाद केवल 4 बागी ही मान पाए, जबकि 17 अब भी डटे हुए हैं। बागियों में से कई पूर्व विधायक तो कई पार्टी में अच्छे ओहदे वाले पदाधिकारी भी शामिल हैं।

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