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मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से करारा झटका,चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक बता लगाई रोक,SBI से मांगा हिसाब !,

केंद्र सरकार की चुनावी बॉन्ड योजना पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। उच्चतम न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की पीठ चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाने के लिए बैठी ।

सुप्रीम कोर्ट ने SBI से एक-एक बॉन्ड का हिसाब मांगा है। CJI ने कहा कि चुनावी बॉन्ड की योजना RTI के खिलाफ है। इसके साथ ही प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि दलों के फंड के बारे में वोटरों को जानने का अधिकार है। काले धन को रोकने को दूसरे भी रास्ते हो सकते हैं। फंडिंग की जानकारी ना देना मकसद के विपरीत है। इसके साथ ही ECI को निर्देश दिए हैं कि बॉन्ड का पूरा ब्योरा वेबसाइट पर अपलोड किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक बताया है।

केंद्र सरकार ने 2018 में चुनावी बांड योजना की शुरुआत की थी। इसे राजनीतिक दलों को मिलने वाली फंडिंग में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत पेश किया गया था। इसे राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले नकद चंदे के विकल्प के रूप में देखा गया था।

इस योजना के अनुसार चुनावी बॉन्ड भारत के किसी भी नागरिक या देश में स्थापित ईकाई द्वारा खरीदा जा सकता है। कोई भी व्यक्ति अकेले या ग्रुप में चुनावी बॉन्ड खरीद सकता है। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29 (A) के तहत रजिस्टर्ड राजनीतिक दल और लोकसभा या विधानसभा के दल जिन्होंने पिछले चुनावों में कम से कम एक प्रतिशत वोट हासिल किया था। वो बॉन्ड प्राप्त कर सकते हैं। इस बॉन्ड को राजनीतिक दल द्वारा अधिकृत बैंक के खाते के माध्यम से भुनाया जा सकता है।

हालांकि इन बांड को सिर्फ वे ही राजनीतिक दल प्राप्त कर सकते हैं। जो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 29ए के तहत पंजीकृत हैं। जिन्हें पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनाव में एक प्रतिशत से अधिक वोट मिले हों।

याचिकाकर्ताओं के मुताबिक चुनावी बॉन्ड से जरिए गुमनामी राजनीतिक फंडिंग को बढ़ावा मिलता है। जो वोटरों के सूचना के अधिकार का उल्लंघन है। तो वहीं मोदी सरकार इस योजना का बचाव करते हुए कह रही है कि इसके जरिए ‘व्हाइट’ मनी का उपयोग उचित बैंकिंग चैनलों के माध्यम से राजनीतिक फंडिंग के लिए किया जाएगा। एक राजनीतिक पार्टी को दान करने के लिए किसी भी व्यक्ति या कॉर्पोरेट यूनिट को अधिकृत बैंकों से बॉन्ड खरीदने की अनुमति होती है। पार्टियों द्वारा दी गई तय समय सीमा के भीतर ही रजिस्टर्ड खातों के जरिए ही इन्हें दिया जा सकता है।

उच्चतम न्यायालय में चुनावी बॉन्ड की वैधता पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस नेता जया ठाकुर, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी समेत कुल 4 याचिकाएं दाखिल की गई हैं। याचिकाकर्ता का दावा है कि चुनावी बॉन्ड के जरिए राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता को प्रभावित करती है। वोटर्स के सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है। याचिका में दावा किया गया है कि इस योजना में शेल कंपनियों के माध्यम से दान देने की अनुमति दी गई है।

कोई भी भारतीय नागरिक, कंपनी या संस्थान इलेक्टोरल बॉन्ड खरीद सकता है। इसके लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ब्रांच से बॉन्ड खरीदा जाता है। ये बॉन्ड एक हजार रुपये से लेकर 1 करोड़ रुपये तक कोई भी खरीद सकता है।

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