कर्नाटक

कर्नाटक चुनाव नतीजों से निकली मोदी मैजिक की हवा, धड़ाम से औंधे मुंह गिरे गोदी मीडिया निर्मित चाणक्य ! 2024 में झोला उठा के जाना पड़ सकता है !

कर्नाटक चुनाव नतीजों से निकली मोदी मैजिक की हवा, धड़ाम से औंधे मुंह गिरे गोदी मीडिया निर्मित चाणक्य ! 2024 में झोला उठा के जाना पड़ सकता है !

मोदी मैजिक के आभासी गुब्बारे की हवा अब निकलने लगी है। दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी की सांसें अब उखड़ने लगी हैं। कर्नाटक के चुनाव में इतनी भी सीटें नही मिल पाई कि सम्मानजनक हार कहा जा सके। देश ने 2014 के बाद जिस अवतार को अविजित मान लिया था उसकी कलई अब खुलने लगी है। प्याज़ की परत दर परत उतर रही है और अंदर सिर्फ परत ही मिल रही है। सत्ता संरक्षित गोदी मीडिया के प्रचार प्रबंधन और आईटी सेल के ज़रिए जनता की गाढ़ी कमाई के अरबों रुपये खर्च करके बनाई गई इमेज की सच्चाई इतनी ही बची है कि देश के सिर्फ 4 राज्यों में बीजेपी की सरकार है, बाकी 10 राज्यों में वो बैसाखी के सहारे है।

 

उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड और गुजरात को छोड़ दिया जाय तो बाकी जगहों पर बीजेपी सहयोगियों के भरोसे बैसाखी सरकार चला रही है। ये बात बीजेपी के नेता भी समझ रहे हैं कि भौकाल का गुब्बारा अब हवा रोकने में नाकाम साबित हो रहा है। जहां तक एमपी की बात है तो जनादेश बीजेपी के खिलाफ था और तोड़फोड़ कर किसी तरह सरकार चलाई जा रही है, लेकिन अगर फिर भी इसको जोड़ लिया जाय तो एमपी, उत्तराखंड और गुजरात के अलावा हर राज्य में सहयोगियों के ऊपर निर्भर बीजेपी सिमटती जा रही है। 14 राज्यों में जैसे तैसे सत्ता में काबिज होने वाली पार्टी गुजरात, उत्तर प्रदेश, एमपी और उत्तराखंड को छोड़ कर 10 राज्यों में सहयोगियों के बिना चुनाव में उतरने की सोच भी नही सकती, ऐसा इसलिए भी कह सकते हैं कि उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में जहां वो राममंदिर को मुद्दा बना कर 2017 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई और अपनी स्थिति को देखते हुए तमाम दावों के विपरीत 2022 के चुनाव में अपना दल (एस) और निषाद पार्टी के बिना चुनाव नही लड़ सकी।

 

कर्नाटक के चुनावी फैसले ने अचानक इस ओर ध्यान दिलाया कि असल सच्चाई यह है कि मज़बूत दिखने वाला यह राजनीतिक दल बहुत ही कमजोर है। कर्नाटक का चुनाव सिर्फ बीजेपी ही नही, बल्कि संघ की भी सबसे बुरी हार है। जनता ने इनकी विचारधारा को नकार दिया है। ऐसा ही कमोबेश पूरे देश के हालात है, जिस कारण बीजेपी अकेले चुनाव में जाने से कतराती है। जिनको यह लगता है कि बीजेपी बहुत ही बड़ी और मज़बूत पार्टी है उनके सामने महाराष्ट्र का उदाहरण है महाराष्ट्र में तोड़फोड़ करने के बाद बीजेपी ने तमाम कोशिशें कर लीं, लेकिन अपना मुख्यमंत्री नही बना सकी और एक छोटे से शिवसेना के बागी नेता को जिसको महाराष्ट्र के बाहर कोई जानता भी नही है मुख्यमंत्री बनाने पर मजबूर होना पड़ गया।

 

 

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