“ट्रम्प को लगी पनौती की नज़र ?” -डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका में नहीं लड़ पाएंगे राष्ट्रपति पद का चुनाव, कोर्ट ने किया अयोग्य घोषित !
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को बड़ा झटका लगा है। कोलोराडो प्रांत की प्रमुख अदालत ने कैपिटल हिंसा मामले में ट्रंप को अमेरिकी संविधान के तहत राष्ट्रपति पद के लिए अयोग्य करार दिया है।
अदालत ने साफ कर दिया कि अगले साल होने वाले चुनावों के लिए डॉनल्ड ट्रम्प अब अयोग्य हो गए हैं। यानी अब वो किसी भी सूरत में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर शामिल नहीं हो पाएंगे और वॉइट हाउस की रेस से हट जएंगे।
Here’s a well done Colorado Public Radio piece explaining the Colorado Supreme Court decision, the 14th Amendment, and banning Trump from running for President. CPR’s Anthony Cotton questions constitutional scholar Judge J. Michael Luttig.
https://t.co/MkcbpBdDK4 pic.twitter.com/jzs1kTLcme— Bill Holt (@BHDreamies) December 20, 2023
दरअसल ये फैसला अमेरिका के वॉशिंगटन में कैपिटल हिल हिंसा के संदर्भ में डॉनल्ड ट्रम्प के समर्थकों की भूमिका के मद्देनज़र ये फैसला सुनाया है। अमेरिका की कोलोराडो सुप्रीम कोर्ट ने ट्रम्प के खिलाफ ये फैसला सुनाया है। यानी अदालत के इस फैसले के बाद अब साल 2024 में होने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति के चुनावों में डॉनल्ड ट्रम्प हिस्सा नहीं ले सकेंगे। हालांकि डॉनल्ड ट्रम्प कैम्प की तरफ से सामने आई खबरों पर यकीन किया जाए तो डॉनल्ड ट्रम्प अभी हार नहीं मानने वाले। मुमकिन है कि कोलोराडो सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ डॉनल्ड ट्रम्प अमेरिका की सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाएं।
कोरोराडो की सुप्रीम कोर्ट ने सात सदस्यों वाली ज्यूरी में 4-3 से फैसला ट्रम्प के खिलाफ सुनाया। अदालत ने साफ कर दिया कि अगले साल होने वाले चुनावों के लिए डॉनल्ड ट्रम्प अब अयोग्य हो गए हैं। यानी अब वो किसी भी सूरत में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर शामिल नहीं हो पाएंगे और वॉइट हाउस की रेस से हट जएंगे। 6 जनवरी 2021 को अमेरिका का वॉशिंगटन में कैपिटल हिल में बड़ी संख्या में ट्रम्प समर्थक घुस गए थे और वहां जमकर हिंसा की थी। अमेरिका के इतिहास में ऐसी हिंसा पहली बार देखी गई।
दरअसल ट्रम्प समर्थकों का दावा था कि चुनावों में धांधली करने के बाद डॉनल्ड ट्रम्प को जानबूझकर हराया गया है। और उस चुनाव में जो बाइडन को विजयी घोषित किया गया था। इस हिंसा की जांच के लिए बेनी थॉम्पसन की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई थी। इस कमेटी डेमोक्रेटिक पार्टी के सात सदस्य थे जबकि दो सदस्य रिपब्लिकन पार्टी के थे। इस कमेटी ने 854 पन्नों की अपनी जांच रिपोर्ट में ये सिफारिश की थी कि हिंसा के लिए काफी हद तक डॉनल्ड ट्रम्प और उनके भाषण ही कसूरवार हैं क्योंकि इससे उनके समर्थक बेकाबू होकर कानून को रौंदने पर आमादा हो गए थे। ऐसे में कमेटी ने सिफारिश की थी कि हिंसा के मद्देनज़र डॉनल्ड ट्रम्प को राष्ट्रपति चुनावों के लिए अयोग्य घोषित किया जाए।
कमेटी ने यहां तक कहा था कि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनावों के वैद्य नतीजों को ट्रम्प समर्थकों ने पलटने की साजिश तक रच डाली थी। करीब 18 महीनों तक चली इस जांच में कमेटी ने करीब एक हजार से ज़्यादा गवाहों से पूछताछ की और उनकी गवाही दर्ज की। साथ ही लाखों पन्नों को भी खंगाला गया।