नई दिल्ली

दिल्ली हाईकोर्ट ने स्वत: लिया संज्ञान, कमरे में स्टेनोग्राफर के साथ अश्लीलता कर रहा जज व उनकी महिला स्टेनोग्राफर तत्काल प्रभाव से निलंबित !

दिल्ली हाईकोर्ट ने स्वत: लिया संज्ञान, कमरे में स्टेनोग्राफर के साथ अश्लीलता कर रहा जज व उनकी महिला स्टेनोग्राफर तत्काल प्रभाव से निलंबित !

दिल्ली हाईकोर्ट ने अश्लील व आपत्तिजनक वीडियो के मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट के एक अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश व उनकी महिला स्टेनोग्राफर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। मामले में एक वीडियो सामने आने पर हाईकोर्ट ने स्वंय संज्ञान लेते हुए यह कार्रवाई की।

इतना ही नहीं अदालत ने जांच कमेटी का भी गठन किया है। इसके साथ ही अदालत ने कथित वीडियो के प्रसार पर रोक भी लगा दी जिसमें अदालत का एक कर्मचारी कथित रूप से एक महिला का यौन उत्पीड़न करता दिख रहा है

दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने उक्त आदेश पारित किया। इसके साथ ही जिला एवं सत्र न्यायाधीश को संबंधित महिला अधिकारी के खिलाफ भी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। पूरे मामले की जांच के लिए समिति गठित कर दी गई है। यह अश्लील वीडियो मार्च का बताया जा रहा है। इस वीडियो में जज अपनी स्टेनो के साथ अपने कक्ष में आपत्तिजनक स्थिति में दिखाई दे रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक वायरल हो रहा वीडियो जज के चैम्बर का ही बताया जा रहा है। जज के चैम्बर में ही वीडियों कैसे बना इसकी भी जांच की जाएगी। बताया जा रहा है महिला स्टेनोग्राफर व जज के बीच काफी समय से इस प्रकार की हरकतों को लेकर कोर्ट में काफी चर्चा थी। बताया जाता है कि वीडियों बनाने के पीछे स्टाफ का हाथ है।

इस वीडियो के वायरल होने के बाद ही वकीलों ने जांच की मांग की थी। जानकारी के अनुसार इस वीडियों को किसी ने मुख्य न्यायाधीश के सुपुर्द किया व उन्होंने इसे गंभीरता से लेते हुए स्वयं संज्ञान लेते हुए यह कार्रवाई की है।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को उस कथित वीडियो के प्रसार पर रोक लगा दी, जिसमें अदालत का एक कर्मचारी कथित रूप से एक महिला का यौन उत्पीड़न करता दिख रहा है। यह आदेश उस महिला की याचिका पर पारित किया गया, जिसने ‘फर्जी और मनगढ़ंत वीडियो’ के प्रसार के लिए निषेधाज्ञा और हर्जाने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

आशीष दीक्षित एडवोकेट के माध्यम से दायर याचिका में, यह कहा गया था कि वीडियो नकली और मनगढ़ंत है और इसका उपयोग कर्मचारी की प्रतिष्ठा और अखंडता को खराब करने के लिए किया जा रहा है।

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