हार्ट में ब्लॉकेज होने के लक्षण, कारण और बचने के प्राकृतिक उपाय,पढ़िए प्रमाणित प्राकृतिक चिकित्सक प्रीती खत्री का विशेष लेख !
हार्ट में ब्लॉकेज होने के लक्षण, कारण और बचने के प्राकृतिक उपाय,पढ़िए प्रमाणित प्राकृतिक चिकित्सक प्रीती खत्री का विशेष लेख !
हार्ट में ब्लॉकेज होना एक बहुत ही गंभीर बीमारी है। इसमें दिल की धड़कन बहुत धीरे-धीरे चलने लगती है। हार्ट में ब्लॉकेज की समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन अधिकांशतः यह मध्यावस्था मतलब 30 वर्ष की उम्र के बाद ही लोगों को होती है। प्रायः देखा जाता है कि हार्ट में ब्लॉकेज होने पर लोग बहुत घबराने लगते हैं। वास्तव में, यह ऐसी बीमारी है जिसमें घबराने की नहीं, बल्कि गंभीरतापूर्वक इलाज कराने की जरूरत होती है। क्या आपको पता है कि हार्ट ब्लॉकेज खोलने के घरेलू उपाय बीमारी का इलाज कर सकते हैं।
कुछ लोगों में हार्ट में ब्लॉकेज की समस्या जन्म के साथ ही शुरू हो जाती है, जबकि कुछ लोगों में वयस्क होने पर यह समस्या विकसित होती है।
हार्ट का ब्लॉकेज क्या है….
जब हृदय में स्थित धमनियों की दीवारों में कफ धातु जमा हो जाता है, तो उससे पैदा होने वाला विकार को हार्ट ब्लॉकेज (ह्रदय प्रतिचय) कहते हैं। आधुनिक रहन-सहन और खाने-पीने में लापरवाही की आदतों के चलते अधिकांश लोगों में हार्ट ब्लॉकेज की समस्या आम होती जा रही है। हार्ट ब्लॉकेज की समस्या जन्मजात भी होती है। जन्मजात ब्लॉकेज की समस्या को कॉन्जेनिटल हार्ट ब्लॉकेज कहते हैं। बाद में हुई समस्या को एक्वायर्ड हार्ट ब्लॉकेज कहते हैं।
कोरोनरी आर्टरीज (धमनी) में किसी भी तरह की रुकावट के कारण हृदय में रक्त की आपूर्ति प्रभावित होती है। इससे रक्त के थक्के बनने लगते हैं, जिसके कारण हार्ट अटैक या दिल का दौरा पड़ता है। इसे एक्यूट मायोकार्डियल इंफार्कशन कहा जाता है।
हार्ट में ब्लॉकेज होने के कारण
ब्लॉक, कोलेस्ट्रॉल, फैट, फाइबर टिश्यू और सफेद रक्त कोशिकाओं के मिश्रण से होता है। यह मिश्रण धीरे-धीरे नसों की दीवारों पर चिपक जाता है। इससे ही हार्ट ब्लॉक होने लगता है। हार्ट में ब्लॉक दो तरह का होता है। जब यह गाढ़ा और सख्त होता है, तो ऐसे ब्लॉक को स्टेबल ब्लॉक कहा जाता है। जब यह मुलायम होता है तो इसे तोड़े जाने के अनुकूल माना जाता है। इसे अनस्टेबल ब्लॉक कहा जाता है।
स्टेबल ब्लॉक
इस तरह का ब्लॉक धीरे-धीरे बढ़ता है। ऐसे में रक्त प्रवाह को नई आर्टरीज का रास्ता ढूंढ़ने का मौका मिल जाता है। इसे कोलेटरल वेसेल कहते हैं। ये वेसेल, ब्लॉक हो चुकी आर्टरी को बाईपास
कर देती है, और दिल की मांसपेशियों तक आवश्यक रक्त और ऑक्सीजन पहुंचाती है। स्टेबल ब्लॉक से रूकावट की मात्रा से कोई फर्क नहीं पड़ता। इससे गंभीर दिल का दौरा भी नहीं पड़ता है।
अनस्टेबल ब्लॉक
अस्थाई ब्लॉक में, ब्लॉक के टूटने पर, एक खतरनाक थक्का बन जाता है। इससे कोलेटरल को विकसित होने का पूरा समय नहीं मिल पाता है। व्यक्ति की मांसपेशियां गंभीर रूप से डैमेज हो जाती हैं। कई बार इससे रोगी को अचानक दिल का दौरा पड़ता है, या रोगी कार्डिएक डेथ का शिकार हो जाता है।
हार्ट ब्लॉकेज के लक्षण
ये हार्ट ब्लॉकेज के लक्षण हो सकते हैं-
- बार-बार सिरदर्द होना
- चक्कर आना या बेहोश हो जाना
- छाती में दर्द होना
- सांस फूलना
- छोटी सांस आना
- काम करने पर थकान महसूस हो जाना
- अधिक थकान होना
- बेहोश होना
- गर्दन, ऊपरी पेट, जबड़े, गले या पीठ में दर्द होना
- अपने पैरों या हाथों में दर्द होना या सुन्न हो जाना
- कमजोरी या ठण्ड लगना।
हार्ट ब्लॉकेज के इन लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये लक्षण बाद में हार्ट अटैक के लक्षण भी बन सकते हैं।
3 रिसर्च बताती हैं कि कोरोना के निशाने पर हार्ट भी है
हृदय रोगी पहले से कोरोना के रिस्क जोन में हैं, लेकिन रिकवरी के बाद भी इसका असर हार्ट पर बरकरार रहता है। समझें…
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट कहती है, कोरोना से रिकवर हो चुके मरीजों के हार्ट पर गहरा असर पड़ा है। संक्रमण के इलाज के बाद इनमें सांस लेने में दिक्कत, सीने में दर्द जैसे लक्षण
- दिख रहे हैं। हार्ट के काम करने की क्षमता पर बुरा असर पड़ रहा है। यह लम्बे समय तक दिखेगा।
- अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन जर्नल में पब्लिश रिसर्च के मुताबिक, कोरोना से रिकवर होने वाले 100 में से 78 मरीजों के हार्ट डैमेज हुए और दिल में सूजन दिखी। रिसर्च कहती है, जितना ज्यादा संक्रमण बढ़ेगा, भविष्य में उतने ज्यादा साइड-इफेक्ट का खतरा बढ़ेगा।
- ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी की रिसर्च के मुताबिक, कोरोना से रिकवर होने वाले हर 7 में से 1 मरीज हार्ट डैमेज से जूझ रहा है। यह सीधे तौर पर उनकी फिटनेस पर असर डाल रहा है।
हार्ट ब्लॉकेज को खोलने के लिए घरेलू उपाय
आप हार्ट ब्लॉकेज को रोकने के लिए या हार्ट ब्लॉकेज खोलने के उपाय के लिए इन घरेलू तरीकों को प्रयोग में लाकर देख सकते हैं
काली मिर्च
काली मिर्च कॉर्डियोप्रोटेक्टिव एक्शन को सक्रिय करने का काम करती है. ये न केवल ऑक्सीडेटिव डैमेज से सुरक्षा देने का काम करती है बल्कि कार्डियक फंक्शन को भी बढ़ाती है.
धनिया के बीज
धनिया के बीजों में एंटी-ऑक्सीडेंट की अच्छी मात्रा होती है. इसमें मौजूद तत्व फ्री रेडिकल्स से दिल को सुरक्षित रखने का काम करते हैं. कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने के लिए, ब्लड फ्लो बढ़ाने के लिए धनिये के बीज का इस्तेमाल फायदेमंद होता है.
अनार से करें हार्ट के ब्लॉकेज को खोलने के उपाय
अनार में फाइटोकेमिकल्स होता है, जो एंटी-ऑक्सीडेंट के रूप में धमनियों की परत को क्षतिग्रस्त होने से रोकता है। रोजाना एक कप अनार के रस का सेवन करें। अनार का सेवन हार्ट अटैक से बचने का उपाय है। हार्ट ब्लॉकेज के लक्षणों से राहत पाने में अनार का घरेलू उपाय फायदेमंद साबित होता है।
अर्जुन वृक्ष की छाल से करें हार्ट के ब्लॉकेज को खोलने के उपाय
हार्ट से जुड़ी बीमारियों जैसे कि हाई कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर, आर्टरी में ब्लॉकेज और कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ के इलाज में अर्जुन वृक्ष की छाल से फायदा होता है। यह कोलेस्ट्रोल लेवल को नियमित रखता है, और दिल को स्वस्थ बनाता है। इसकी छाल में प्राकृतिक ऑक्सिडाइजिंग होता है। हार्ट अटैक से बचने के उपाय में अर्जुन वृक्ष की छाल का औषधि के रूप में किया जाता है। आप अर्जुन की छाल के प्रयोग के बारे में किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श ले सकते हैं।
दालचीनी से करें हार्ट के ब्लॉकेज को खोलने के उपाय
यह बेकार कोलेस्ट्रॉल को शरीर से कम करती है, और हार्ट को मजबूती प्रदान करती है। इसमें भी ओक्सिडाइजिंग तत्व होते हैं। इसके नियमित इस्तेमाल से सांसों की तकलीफ दूर होती है। दालचीनी हार्ट अटैक के लक्षणों से राहत पाने, और हार्ट ब्लॉकेज खोलने में सहायता कर सकता है।
हार्ट ब्लॉकेज के लक्षणों से राहत पाने के लिए लाल मिर्च का इस्तेमाल
इसमें मौजूद कैप्सेसिन नामक तत्व खराब कोलेस्ट्रॉल या एलडीएल ऑक्सीकरण से बचाता है। यह रक्त में खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है, जो धमनियों के बंद होने के मुख्य कारणों में से एक है। इसके अलावा यह ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करता है। यह दिल के दौरे और स्ट्रोक के खतरे को भी कम करता है। गर्म पानी के एक कप में आधा या एक चम्मच लाल मिर्च मिला लें। कुछ हफ्तों के लए इसे नियमित रूप से लें। इसके अलावा आप चिकित्सक की सलाह से लाल मिर्च के सप्लीमेंट भी ले सकते हैं।
अलसी से हार्ट ब्लॉकेज की समस्या का इलाज
अलसी के बीज रक्तचाप और सूजन को कम करने में मदद करते हैं। यह अल्फालिनोलेनिक एसिड के सबसे अच्छे स्रोतों में से एक है। यह बंद धमनियों को साफ रखने, और पूरे ह्रदय के स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करता है। हार्ट ब्लॉकेल को खोलने के लिए अलसी का घरेलू उपचार लाभप्रद साबित हो सकता है। इससे हार्ट अटैक के लक्षणों से राहत मिलने में मदद मिलती है। अलसी में बहुत अधिक मात्रा में फाइबर एलडीएल होता है, जो धमनियों को साफ करने में मदद करता है। आप एक चम्मच अलसी के बीज को नियमित रूप से पानी के साथ लें। इसके अलावा आप इसको जूस, सूप या स्मूदी में मिलाकर भी ले सकते हैं।
लहसुन
बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल दिल से जुड़ी बीमारियों का सबसे बड़ा कारण है. अपने खाने में लहसुन को शामिल करके आप कोलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल कर सकते हैं. लहसुन में एलिसिन नामक एंटी-ऑक्सीडेंट पाया जाता है जो न केवल कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने का काम करता है बल्कि ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल करता है. ऐसे में लहसुन खाना दिल से जुड़ी बीमारियों से दूर रहने का कारगर उपाय है. हार्ट ब्लॉकेज की समस्या के इलाज के लिए लहसुन का सेवन लहसुन बंद धमनियों को साफ करने के लिए सबसे अच्छे उपायों में से एक है। यह रक्त वाहिकाओं को चौड़ा करता है, और रक्त संचार में सुधार करता है। लहसुन खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है, और दिल के दौरे या स्ट्रोक के खतरे को कम करता है।
तीन लहसुन की कली को काटकर एक कप दूध में मिलाकर उबाल लें। थोड़ा ठण्डा होने पर सोने से पहले पिएं। अपने आहार में लहसुन को शामिल करें।
हल्दी के सेवन से हार्ट ब्लॉकेज का इलाज
हल्दी बंद धमनियों को खोलने का काम करता है। हल्दी में करक्यूमिन रहता है, जिसमें एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इन्फ्लामेटरी गुण होता है। यह खून को जमने में रोकता है। गर्म दूध में रोजाना हल्दी मिलाकर सेवन करना चाहिए। सर्दियों से हल्दी का प्रयोग कई तरह के बीमारियों से राहत पाने के लिए किया जाता है। यह हार्ट ब्लॉकेज का देसी इलाज है।
हार्ट ब्लॉकेज के लक्षणों से आराम पाने के लिए नींबू का प्रयोग
नींबू विटामिन-सी से भरपूर एक शक्तिशाली एंटी-ऑक्सीडेंट है। यह रक्तचाप में सुधार लाने, और धमनियों की सूजन को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा, नींबू ब्लड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने, और रक्त प्रवाह में ऑक्सीडेटिंव के नुकसान को रोकता है, तथा धमनियों को साफ करता है। इसके लिए आप गुनगुने पानी के एक गिलास में थोड़ा-सा शहद, काली मिर्च पाउडर और एक नींबू का रस मिला लें। कुछ हफ्तों के लिए दिन में एक या दो बार लें।
अंगूर से हार्ट ब्लॉकेज की समस्या का उपचार
अंगूर स्वादिष्ट और सेहतमंद फल है। अंगूर में कैलोरी, फाइबर के साथ-साथ विटामिन-सी, विटामिन-ई भरपूर मात्रा में मिलता है। अंगूर के रोजाना सेवन से उम्र भी बढ़ती है, क्योंकि यह नई टिशू के निर्माण में सहायक है। यह हार्ट अटैक के लक्षणों से राहत मिलने में भी मदद करता है।
हार्ट के ब्लॉकेज खोलने के लिए अदरक का इस्तेमाल
हार्ट के ब्लॉकेज को खोलने के लिए अदरक एक लाभकारी औषधि के रूप में काम करता है। इसके सेवन से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है। इसके अलावा हृदय रोग के लक्षणों से राहत मिलती है। प्रयोग की जानकारी किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर लें।
तुलसी से करें हार्ट ब्लॉकेज का देसी इलाज
हार्ट अटैक के बचने के लिए तुलसी बहुत ही फायदेमंद होती है। तुलसी के 25-30 पत्तोंं का रस, 1 नींबू तथा थ़ोड़ा-सा शहद (अगर ड़ायबिटीज नहीं है तो) थोड़ी मात्रा में चाटें, या पानी में मिलाकर पियें। यह हार्ट ब्लॉकेज का देसी इलाज है।
लौकी से करें हार्ट ब्लॉकेज का देसी इलाज
हृदय रोग के लक्षण से राहत पाने के लिए लौकी की सब्जी, और लौकी के जूस का सेवन फायदेमंद होता है। यह रक्त की अम्लता कम करने में सहायता करता है। लौकी के जूस में तुलसी की पत्तियां मिलाकर पिएं। तुलसी की पत्ती में क्षारीय गुण होते हैं। इसमें पुदीना भी मिला कर पीने पर लाभ मिलता है। इसके स्वाद को बदलने के लिए आप सेंधा नमक मिला सकते हैं।
इलायची से करें हार्ट ब्लॉकेज का देसी इलाज
इलायची ब्लड में कोलेस्ट्रोल के लेवल को बेहतर करने के साथ-साथ रक्त में फाइब्रिनोलिटिक गतिविधि को भी बढ़ाता है। फाइब्रिनोलिटिक का काम रक्त का थक्का को बनने से रोकना, और हार्ट ब्लॉकेज की संभावना को कम करना है।
गोझरण अर्क से हार्ट ब्लॉकेज का इलाज
गोझरण अर्क को ह्रदय संबंधित रोगों के लिए टॉनिक माना जाता है। यह कार्डियो को सुरक्षा प्रदान करने के साथ-साथ एन्टीएजिंग जैसा काम करता है। यह एंटीथेरोस्क्लोरोटिक गुणों वाला भी होता है। गोझरण अर्क, त्रिदोषों को संतुलित करने की क्षमता रखता है। इसलिए यह कहा जाता है कि गोझरण बीमारियों को ठीक करता है।
पीपल के पत्तों से हार्ट ब्लॉकेज का इलाज
पीपल के पत्तों में एंटी-ऑक्सिडेंट गुण होते हैं, जो हृदय की सेहत के लिए बहुत अच्छे होते हैं। ये दिल की धड़कन को स्वस्थ तरह से चलाने में मदद करते हैं, और धमनियों में ब्लड सर्कुलेशन भी बेहतर करते हैं। यह हार्ट ब्लॉकेज का देसी इलाज है।
हार्ट ब्लॉकेज की रोकथाम के लिए आपका खानपान
हार्ट ब्लॉक की समस्या ना हो, इसके लिए आपका खानपान ऐसा होना चाहिएः-
अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी में पब्लिश रिसर्च कहती है, रोजाना डाइट में ओमेगा-3 आइकोसा-पेंटानोइक एसिड और अल्फा-लिनोलिक एसिड की ज्यादा मात्रा वाला खाना खाते हैं तो दिल की बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।
ओमेगा-3 आइकोसा-पेंटानोइक एसिड और अल्फा-लिनोलिक एसिड में ऐसी खूबियां होती हैं जो दिल को सुरक्षित रखने में मदद करती हैं।
रिसर्च कहती है कि हार्ट को हेल्दी रखने के लिए साल्मन मछली, अलसी, अखरोट, सोयाबीन और बादाम खा सकते हैं।
नमक का सेवन कम करें
नमक का सेवन कम करें, ताकि हाइपरटेंशन पर नियंत्रण रहे।
संतृप्त/ट्रांस फैट से बचें
भोजन में कम से कम ऑयल, डाल्डा या घी का सेवन करने से बचें। इनका ज्यादा सेवन धमनियों के ऊपर एक परत के रूप में जम जाता है, और रक्त के प्रवाह पर असर डालता है।
शक्कर का सेवन कम करें
मीठा सेवन करने से शरीर में कोलेस्ट्रोल का स्तर बहुत बढ़ सकता है। इससे रक्त के थक्के बन सकते हैं, या रक्त गाढ़ा हो सकता है। यह शरीर के लिए घातक साबित होता है।
हार्ट ब्लॉकेज की रोकथाम के लिए आपकी जीवनशैली
हार्ट अटैक से बचने के उपाय के लिए आपकी जीवनशैली ऐसी होनी चाहिएः-
तनाव व चिंता ना करें
रोजाना 7-8 घण्टे की नींद लें तथा चिंता कम से कम करें।
धूम्रपान ना करें
धूम्रपान का सेवन ना करें क्योंकि इसका सीधा प्रभाव दिल की धमनियों पर पड़ता है।
वर्कआउट :
45 मिनट की एक्सरसाइज या वॉक जरूरी
सप्ताह में पांच दिन 45 मिनट तक कसरत करें। वॉकिंग भी करते हैं तो असर दिखता है। दिल की बीमारियों की एक बड़ी वजह मोटापा है। वजन जितना बढ़ेगा और हृदय रोगों का खतरा उतना ज्यादा रहेगा। फिटनेस को इस स्तर पर लाने का प्रयास करें कि सीधे खड़े होने पर जब आप नीचे नजरें करें तो बेल्ट का बक्कल दिखे। अगर एक से डेढ़ किलोमीटर जाना है तो पैदल जाएं।
ह्रदय में ब्लॉकेज होने के कारण..
शरीर में त्रिदोष यानि वात, पित्त और कफ के असंतुलन के कारण ही हर तरह की बीमारियां होती हैं। वैसे ही हार्ट ब्लॉकेज भी कफ और पित्त के वजह से होता है। यह रोग कफप्रधान वातदोष से होता है।
ह्रदय में ब्लॉकेज के कई स्टेज होते हैं…
हार्ट ब्लॉकेज अलग-अलग स्टेज पर होता है। प्रथम या शुरुआती स्टेज में कोई खास लक्षण नहीं होता। सेंकेंड स्टेज में दिल की धड़कन सामान्य से थोड़ी कम हो जाती है। थर्ड स्टेज में दिल रुक-रुक कर धड़कना शुरू कर देता है। सेकेंड या थर्ड स्टेज पर दिल का दौरा या हार्ट अटैक भी आ सकता है। इसमें तुरन्त इलाज की ज़रूरत होती है।
ह्रदय में ब्लॉकेज का पता लगाने के लिए जांच..
हार्ट के ब्लॉकेज को जाँचने के लिए इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम यानि ईसीजी टेस्ट किया जाता है।
ह्रदय मे ब्लॉकेज होने पर डॉक्टर से सम्पर्क..
हृदय रोग के लक्षण ऐसे महसूस होने पर डॉक्टर से बात करनी चाहिए, क्योंकि ये शुरुआती दौर के हार्ट एटैक के लक्षण हो सकते हैं-
- छाती के बीचों-बीच दर्द होना, और कुछ मिनट तक इसका बने रहना।
- छाती पर असहज दबाव महसूस होना
- कंधे में दर्द और गर्दन का दर्द, और बाएं हाथ तक फैलना। यह दर्द हल्का या जोर से भी हो सकता है। इसके कारण कड़ापन या भारीपन महसूस हो सकता है। यह सीने, पेट के ऊपरी भाग, गर्दन, जबड़े और बाजुओं में अंदर भी हो सकता है।
- बेचैनी या ज्यादा पसीना आना
- उल्टी या दस्त होना
Disclaimer
सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.