मणिपुर

मणिपुर में सांप्रदायिक हिंसा नहीं, बल्कि सरकार द्वारा प्रायोजिक हिंसा है , NFIW की एक तीन सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग टीम का बड़ा खुलासा,मुख्यमंत्री ने एक गुप्त एजेंडे के तहत ऐसा होने दिया !

मणिपुर में सांप्रदायिक हिंसा नहीं, बल्कि सरकार द्वारा प्रायोजिक हिंसा है , NFIW की एक तीन सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग टीम का बड़ा खुलासा !

मणिपुर में 3 मई 2023 को शुरु हुई हिंसा अपने आप नहीं शुरु हो गई और न ही बिना किसी उकसावे के ऐसा हुआ। इससे कई महीने पहले मार्च और अप्रैल 2023 से छिटपुट घटनाएं हो रही थीं जिनसे हिंसक झड़पों के संकेत मिल रहे थे। लेकिन सरकार ने इस सबकी अनदेखी की और हिंसा को भड़कने दिया।

दरअसल NFIW ‘भारतीय महिला फेडरेशन’ (National Federation of Indian Women) की एक तीन सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग टीम मणिपुर से लौटी है। इस टीम में NFIW की जनरल सेक्रेटरी एनी राजा, नेशनल सेक्रेटरी निशा सिद्धू और एक स्वतंत्र वकील दीक्षा द्विवेदी शामिल थीं। 28 जून से 1 जुलाई तक मणिपुर दौरे के दौरान ये टीम चुराचांदपुर, बिष्णुपुर के अधिकारियों से मिलीं, 6 रिलीफ कैंपों का दौरा कर हिंसा प्रभावित लोगों से बातचीत की साथ ही महिलाओं के संगठन मीरा पैबीस से भी मिलीं।

इस टीम ने पाया कि मणिपुर में सांप्रदायिक हिंसा नहीं हो रही है, न ही वहां दो समुदायों के बीच फसाद है। बल्कि ये ज़मीन, संसाधनों की बात है, साथ ही वहां चरमपंथियों की मौजूदगी है। इन सबके पीछे सरकार का प्रो-कॉरपोरेट एजेंडा लगता है।

एनएफआईडब्लू की महासचिव एनी राजा ने बताया कि, “यह कोई धार्मिक संघर्ष नहीं बल्कि राजनीतिक लड़ाई है। मुख्यमंत्री ने एक गुप्त एजेंडे के तहत ऐसा होने दिया और हिंसा के दौरान पुलिस मूक दर्शक बनी रही।” उन्होंने बताया कि पूर्व में उठाए सरकारी कदमों के चलते कुकी समुदाय के लोगों ने शिक्षा हासिल की, प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में हिस्सा लिया और सरकारी नौकरियां हासिल कर पाए, लेकिन मैतेई समुदाय के बहुत से लोग (जिनसे ग्रुप ने मुलाकात की) इससे खुश नहीं थे।

 

 

 

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