मणिपुर

मणिपुए -70 साल के इतिहास में आज़ाद भारत के लोक्तन्त्र से उठा लोगों का विश्वास, केंद्र की मोदी सरकार और चुनाव आयोग को चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए ! मणिपुर में बोली जनता ‘‘मैं प्रतिनिधि को चुनने के लिए वोट क्यों दूं चुनाव का हमारे लिए कोई मतलब नहीं है।’’

मणिपुर में दो लोकसभा सीट के लिए चुनाव 19 और 26 अप्रैल को दो चरण में होंगे। चुनाव को लेकर मणिपुर में जातीय हिंसा के कारण 11 महीने पहले अपना घर गंवाने के बाद एक राहत शिविर में रह रही नोबी का कहना है, ‘‘मैं उस जगह के प्रतिनिधि को चुनने के लिए वोट क्यों दूं जो जगह अब मेरी नहीं है… चुनाव का हमारे लिए कोई मतलब नहीं है।’’

नोबी (42) ऐसा सोचने वाली एकमात्र व्यक्ति नहीं हैं। पूर्वोत्तर राज्य में जातीय समूहों के बीच शत्रुता और झड़पों के कारण अपने घर लौट नहीं पा रहे कई लोगों की यही धारणा है कि ‘‘मतदान के अधिकार से पहले जीने का अधिकार’’ है और ‘‘मतदान से अधिक शांति’’ मायने रखती है।

मणिपुर में दो लोकसभा सीट के लिए चुनाव 19 और 26 अप्रैल को दो चरण में होंगे। चुनाव को लेकर मणिपुर में जातीय हिंसा के कारण 11 महीने पहले अपना घर गंवाने के बाद एक राहत शिविर में रह रही नोबी का कहना है, ‘‘मैं उस जगह के प्रतिनिधि को चुनने के लिए वोट क्यों दूं जो जगह अब मेरी नहीं है… चुनाव का हमारे लिए कोई मतलब नहीं है।’’

नोबी (42) ऐसा सोचने वाली एकमात्र व्यक्ति नहीं हैं। पूर्वोत्तर राज्य में जातीय समूहों के बीच शत्रुता और झड़पों के कारण अपने घर लौट नहीं पा रहे कई लोगों की यही धारणा है कि ‘‘मतदान के अधिकार से पहले जीने का अधिकार’’ है और ‘‘मतदान से अधिक शांति’’ मायने रखती है।

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