उत्तराखंड

उत्तरकाशी में सिल्क्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को निकालने का इंतजार लंबा होता जा रहा है चारधाम भारतमाला परियोजना रिपोर्ट में इसे ‘स्टेट ऑफ आर्ट’ कहा गया जो आज ‘स्टेट ऑफ डिजास्टर’ बन गया है। ये ‘हादसा नहीं अपराध’ है !

उत्तरकाशी में टनल के भीतर 41 मजदूरों को फंसे 9 दिन हो चुके हैं। रेस्क्यू टीम के हाथ अब तक खाली हैं। उनमें से किसी को भी अभी तक बाहर नहीं निकाला जा सका है। सिल्क्यारा टनल पर अब अंतरराष्ट्रीय एक्सपर्ट्स पहुंचे हैं। इंटरनेशनल टनलिंग अंडरग्राउंड स्पेस प्रोफेसर के अध्यक्ष, अर्नोल्ड डिक्स सिल्क्यारा सुरंग में पहुंचे, उन्होंने सुरंग के मुख्य द्वार पर बने एक मंदिर में पूजा-अर्चना भी की।

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। अब तक अभियान में कोई खास कामयाबी नहीं मिल पाई है। ऐसे में मजूदरों के परिजनों की उम्मीदें धूमिल होती जा रही हैं। केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को सुरंग का निरीक्षण किया। निरीक्षण के बात बताया कि अब 6 विकल्पों पर काम चल रहा है और इस पूरे ऑपरेशन में दो से ढाई दिन का समय और लग सकता है।

उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि सुरंग में ड्रिलिंग कर उसमें पाइप डालने के लिए आगर मशीन को फिर शुरू करने की तैयारी चल रही है। फंसे हुए लोगों तक खाना पहुंचा रहे पाइप के अतिरिक्त एक और बड़े व्यास का पाइप मलबे में 42 मीटर अंदर तक डाल दिया गया है जिससे उन तक जरूरी चीजें पहुंचाई जा सकें। उन्होंने बताया कि हिमालय में भूवैज्ञानिक स्तर एक समान न होने की वजह से यहां अभियान चुनौतीपूर्ण है।

12 नवंबर को दिवाली के दिन निर्माणाधीन सुरंग का सिलक्यारा की ओर से मुहाने से 270 मीटर अंदर करीब 30 मीटर का हिस्सा ढह गया था और तब से 41 श्रमिक उसके अंदर फंसे हुए हैं। उन्हें निकालने के लिए बड़े स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। श्रमिकों के लिए ‘एस्केप पैसेज’ तैयार करने के लिए ड्रिलिंग रविवार को भी स्थगित रही। फंसे लोगों को जरूरी सामान की आपूर्ति के लिए मलबे में एक और बड़े व्यास की पाइपलाइन डाली जा रही है।

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