महाराष्ट्र

क्यों हिंसक हो गया मराठा आरक्षण आंदोलन ? किस बात की मांग को लेकर चल रहा है आंदोलन ,जानिये इस खबर में !

महाराष्ट्र की धरती पर आरक्षण का मुद्दा भड़का हुआ है. आंदोलनाकारी अब हिंसा पर उतर आए हैं. 30 अक्टूबर को राज्य के अलग-अलग जगहों पर जमकर आगजनी और तोड़फोड़ की गई. दो विधायक और राज्य के एक पूर्व मंत्री को प्रदर्शनकारियों के गुस्से का सामना करना पड़ा. आंदोलनकारियों ने बीड जिले में एनसीपी विधायक प्रकाश सोलंके के घर में आग लगा दी. वहीं उनके दफ्तर और गाड़ियों में भी तोड़फोड़ की गई. हालात को देखते हुए बीड समेत कई जिलों में इंटरनेट बंद और कर्फ्यू लगा दिया गया है. अब सवाल ये है कि आखिर इस आंदोलन की वजह क्या है?

जिसने एकनाथ शिंदे सरकार की मुसीबतों को बढ़ा दिया है. आंदोलन की अगुवाई कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने सरकार को अल्टीमेटम दे रखा है कि जब तक मराठाओं को आरक्षण नहीं दिया जाएगा वह आंदोलन खत्म नहीं करेंगे. जरांगे आरक्षण की मांग को लेकर महाराष्ट्र के जालना जिले में अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे हैं. इस आंदोलन ने तब जोर पकड़ा जब जरांगे प्रदर्शन के दूसरे चरण के तहत जालना में अंतरवाली सराटी गांव में 25 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठने का ऐलान किया. उनकी अपील पर कई मराठा संगठन सड़क पर उतर आए.


दरअसल, मराठा समुदाय के लोग अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) श्रेणी के तहत सरकारी नौकरियों एवं शिक्षा में आरक्षण देने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि सितबंर 1948 तक निजाम का शासन खत्म होने तक मराठाओं को कुनबी माना जाता था और ये ओबीसी थे. इसलिए फिर से इन्हें कुनबी जाति का दर्जा दिया जाए और OBC में शामिल किया जाए. यह लड़ाई लंबे समय से चल रही है. लेकिन ऐसा नहीं कि राज्य सरकार ने ऐसा कदम नहीं उठाया हो. महाराष्ट्र सरकार ने मराठाओं को आरक्षण देने की पूरी कोशिश में है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की सीमा सीमित कर रखी है वह सरकार के लिए रोड़ा बनी हुई है.


 

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