उत्तरप्रदेश

उत्तर प्रदेश–10 सिखों को बस से उतारकर आतंकवादी बताकर फर्जी मुठभेड़ में उन्हें मौत के घाट उतारने वाले 43 पुलिस कर्मियों को एक साथ सुनाई गई 7 साल जेल की सजा !

उत्तर प्रदेश--10 सिखों को बस से उतारकर आतंकवादी बताकर फर्जी मुठभेड़ में उन्हें मौत के घाट उतारने वाले 43 पुलिस कर्मियों को एक साथ सुनाई गई 7 साल जेल की सजा !

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 31 साल पुराने फर्जी एनकाउंटर केस में 43 पुलिसकर्मियों को दोषी करार देते हुए उन्हें 7-7 साल कैद की सजा सुनाई है. 12 जुलाई 1991 को पीलीभीत के कछला घाट के पास तीर्थ यात्रियों को लेकर जा रही बस से 11 सिख नौजवानों को उतारकर पुलिस ने 10 लोगों का एनकाउंटर कर दिया था.

आपको बता दें 12 जुलाई 1991 को नानकमथा पटना साहिब, हुजूर साहिब और अन्य तीर्थ स्थलों की यात्रा करते हुए 25 सिख यात्रियों का जत्था बस से लौट रहा था। पीलीभीत के छाला घाट के पास पुलिस वालों ने बस को रोका और 11 युवकों को उतारकर अपनी बस में बैठा लिया। इनमें से 10 की लाश मिली। वहीं, शाहजहांपुर के तलविंदर सिंह का आज तक पता नहीं चला कि वह कहां हैं।

पुलिस ने इस मामले में पूरनपुर, न्यूरिया और बिलसंडा थाने में 3 अलग-अलग केस दर्ज किए थे। जांच के बाद पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी। इसके बाद एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 15 मई 1992 को इस केस की जांच सीबीआई को सौंप दी। सीबीआई ने मामले की जांच के बाद बाद 57 पुलिस कर्मियों के खिलाफ सुबूतों के आधार पर चार्जशीट दायर की। अदालत ने 43 पुलिस कर्मियों को इस मामले में दोषी ठहराया

हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि दोषी पुलिस कर्मी अपनी जेल की सजा काटेंगे। साथ ही अदालत ने सभी पुलिस कर्मियों पर 10-10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ ने अभियुक्त पुलिस कर्मियों देवेंद्र पांडेय और अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई के बाद दिया।

 

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