#EVM लोकतंत्र हाईजैक ? चुनाव आयोग ने EVM की ख़रीद पर ‘रु0 5,360,175,485 ख़र्च किये । जबकि BEL को EVM के बदले रु0 6,525,644,000 प्राप्त हुए यानि भुगतान की राशि से 116.55 करोड़ ज़्यादा,फिर BEL 116.55 करोड़ रुपए किसने और क्यों दिए? EVM से संबंधित सनसनीख़ेज़ मामला,जानिये पूरी खबर !
कहीं लोकतंत्र तो हाईजैक नहीं हो गया?
यह चौंकाने वाला शीर्षक है, लेकिन बेहद संजीदा भी। EVM से संबंधित सनसनीख़ेज़ मामला प्रकाश में आया है। मुंबई के RTI कार्यकर्ता मनोरंजन एस राय के द्वारा 1989 से भारतीय चुनाव प्रणाली में व्यवहृत EVM की बिक्री और ख़रीद के मामले में RTI से प्राप्त जानकारी स्तंभित कर देने वाली है।
चुनाव आयोग के मुताबिक़ EVM की ख़रीद पर ‘वास्तविक व्यय’ रु0 5,360,175,485 हुए। जबकि BEL ने RTI के जवाब में कहा है कि उसे EVM के बदले रु0 6,525,644,000 प्राप्त हुए। यानी चुनाव आयोग ने जितने रुपए दिए, उससे 116.55 करोड़ ज़्यादा।
प्रश्न उठता है कि BEL और ECIL से ख़रीदे गये EVM जब चुनाव आयोग ने ने नहीं लिए तो फिर वे कहाँ हैं? EVM कोई बिस्किट का पैकेट नहीं है कि किसी परचून की दूकन पर बिकने के लिए चले गए होंगे। उनका उपयोग चुनाव में ही है। तो फिर चुनावों में कौन उनका उपयोग कर रहा है? फिर BEL को अधिक मिले 116.55 करोड़ रुपए किसने दिए? इस बात का स्पष्टीकरण न सरकार दे रही है, न चुनाव आओग और न ही मीडिया इस प्रश्न को उछाल रहा है।
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