प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम राम मंदिर का नहीं बल्कि वोटों का है ! पौष के अशुभ महीने में प्राण प्रतिष्ठा का कोई महत्त्व नहीं ,प्राण प्रतिष्ठा में शामिल नहीं होंगे चारों शंकराचार्य !
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का न्योता इस समय देश में चर्चा का विष्य बना हुआ है। केंद्र की बीजेपी सरकार पर प्राण प्रतिष्ठा के जरिए वोट की राजनीति करने के आरोप लग रहे हैं। अयोध्या में 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा है।
"प्रधानमंत्री नकली नहीं, मुख्यमंत्री नकली नहीं, राज्यपाल नकली नहीं… इनसे घटिया पद शंकराचार्य का है क्या… शासकों पर शासन करने का पद हम लोगों का है…"
शंकराचार्य निश्चलानंद स्वामी ने अयोध्या में होने वाली रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को शास्त्रों के खिलाफ बताया है और कहा कि वो… pic.twitter.com/TVpyNsUnVT
— News Tak (@newstakofficial) January 10, 2024
प्राण प्रतिष्ठा के भव्य कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी समेत कई अहम लोग शामिल होंगे। लेकिन हैरानी की बात यह है कि चारों शंकराचार्यों ने प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की रूप रेखा पर सवाल खड़े करते हुए इससे दूरी बना ली है। पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती के बाद द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने सीधे तौर पर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का विरोध किया है। इसके अलावा दो शंकराचार्यों ने भी बयान देकर कार्यक्रम में जाने से सीधे तौर पर मना कर दिया है।
प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का कड़े शब्दों में विरोध करते हुए पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि हम इस कार्यक्रम में ताली बजाने थोड़े ना जाएंगे। स्वामी निश्चलानंद समेत चारों शंकराचार्यों वीडियो सोशल मीडिया में पर खूब वायरल हो रहा है। उन्होंने कहा कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने के लिए न्योता तो मिला है, लेकिन इसमें उन्हें सिर्फ एक आदमी के साथ आने के लिए कहा गया है।
निश्चलानंद ने यहां तक कह दिया कि अगर 100 आदमी के साथ भी मुझे आने का न्योता मिला होता तब भी मैं इस कार्यक्रम में नहीं जाता। उन्होंने आगे कहा मोदी वहां मूर्ति को स्पर्श करें और वह खड़े होकर ताली बजाएं और जय जयकार करें, यह मुमकिन नहीं है। उन्होंने आगे कहा, भगवती सीता को पहले अपनी बड़ी बहन मानते थे, लेकिन वह खुद छोटी बहन बनना पसंद करती हैं। उनके इस रिश्ते को कोई तोड़ नहीं सकता। ऐसे में मुझे अयोध्या से कोई परहेज नहीं हो सकता।
चारों शंकराचार्य प्राण प्रतिष्ठा में नहीं जा रहे। हमारा धर्म है कि शास्त्र विधि का पालन करें और करवाएं। वहां इसका पालन नहीं हो रहा। मंदिर का निर्माण अधूरा है।
सुनिए -ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने क्या कहा ! pic.twitter.com/n5I12W0fzK— News Network 24×7 (@24x7_network) January 9, 2024
शारदा पीठ के शंकराचार्य सदानंद सरस्वती ने भी प्राण प्रतिष्ठा के तौर तरीके पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम राम मंदिर का नहीं, बल्कि वोटों का है। उन्होंने कहा कि पौष के अशुभ महीने में प्राण प्रतिष्ठा का कोई कारण नहीं है। शंकराचार्य ने कहा कि यह सीधे तौर पर बीजेपी के राजनीतिक हित को साधने वाला कार्यक्रम है। सदानंद सरस्वती के इस वीडियो को कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने फेसबुक पर शेयर किया है।