नोटबंदी गैरकानूनी थी-आरबीआई ने स्वायत्त तरीके से कोई फैसला नहीं लिया, सब कुछ केंद्र सरकार की इच्छा के मुताबिक हुआ-जस्टिस नागरत्ना
नोटबंदी गैरकानूनी थी-आरबीआई ने स्वायत्त तरीके से कोई फैसला नहीं लिया, सब कुछ केंद्र सरकार की इच्छा के मुताबिक हुआ-जस्टिस नागरत्ना
सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने केंद्र सरकार के 2016 के नोटबंदी के फैसले की 4:1 के बहुमत से पुष्टि की है । बहुमत के फैसले में कोर्ट ने कहा कि नोटबंदी का फैसला लेते समय अपनाई गई प्रक्रिया में कोई कमी नहीं थी। इसलिए उस अधिसूचना को रद्द करने की कोई जरूरत नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ में से एक जज जस्टिस बी.वी नागरत्ना ने अपने असहमति के फैसले में नोटबंदी गलत माना और इसे गैरकानूनी करार दिया। जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि आरबीआई ने नोटबंदी की सिफारिश करने में स्वतंत्र रूप से विवेक का इस्तेमाल नहीं किया, पूरी क़वायद 24 घंटे में हो गई।
जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि केन्द्र सरकार के कहने पर सभी सीरीज़ नोट को प्रचलन से बाहर करना काफी गंभीर विषय है। जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि नोटबंदी का फैसला केन्द्र सरकार की अधिसूचना के जरिए ना होकर विधेयक के जरिए होना चाहिए था, ऐसे महत्वपूर्ण फैसलों को संसद के सामने रखना चाहिए था। आरबीआई द्वारा दिए गए रिकॉर्ड से ये साफ होता है कि रिजर्व बैंक द्वारा स्वायत्त रूप से कोई फैसला नहीं लिया गया बल्कि सब कुछ केन्द्र सरकार की इच्छा के मुताबिक हुआ।
जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि आरबीआई अधिनियम में केंद्र सरकार द्वारा विमुद्रीकरण की शुरुआत की परिकल्पना नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि धारा 26(2) के अनुसार नोटबंदी का प्रस्ताव आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड से आएगा।