महाराष्ट्र

महाराष्ट्र राजनीतिक सकंट मामले में सुप्रीम कोर्ट की राज्यपाल को कड़ी फटकार,अगर उद्धव इस्तीफ़ा नहीं देते तो सरकार बहाल की जा सकती थी ,फिलहाल ,मामला बड़ी बेंच को भेजा जाएगा,

महाराष्ट्र राजनीतिक सकंट मामले में सुप्रीम कोर्ट की राज्यपाल को कड़ी फटकार,फिलहाल ,मामला बड़ी बेंच को भेजा जाएगा,

महाराष्ट्र राजनीतिक संकट को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ किसी नतीजें पर नहीं पहुंच पाई। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट का मामला 7 जजों की बड़ी बेंच को सौंप दिया है। आपको बता दें, शिवसेना के उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट की ओर से दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला आया है। सीजेआई ने कहा, नबाम रेबिया मामले में उठाए गए सवाल को बड़ी बेंच में भेजना चाहिए। क्योंकि उसमे और स्पष्टता की आवश्यकता है।

 

संविधान पीठ ने मामले को बड़ी बेंच के पास भेजते हुए तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि स्पीकर को दो गुट बनने की जानकारी थी। भरत गोगावले को चीफ व्हिप बनाने का स्पीकर का फैसला गलत था। स्पीकर को जांच करके फैसला लेना चाहिए था। स्पीकर को सिर्फ पार्टी व्हिप को मान्यता देनी चाहिए। उन्होंने सही व्हिप को जानने की कोशिश नहीं की। अध्यक्ष को हटाने का नोटिस अयोग्यता नोटिस जारी करने के लिए अध्यक्ष की शक्तियों को प्रतिबंधित करेगा या नहीं जैसे मुद्दों को एक बड़ी पीठ की ओर से जांच की जरूरत है।

 

 

वहीं राज्यपाल को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल को वो नहीं करना चाहिए जो ताकत संविधान ने उनको नहीं दी है। अगर सरकार और स्पीकर अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा टालने की कोशिश करें तो राज्यपाल फैसला ले सकते हैं, लेकिन इस मामले में विधायकों ने राज्यपाल को जो चिट्ठी लिखी, उसमें यह नहीं कहा कि वह MVA सरकार हटाना चाहते हैं। सिर्फ अपनी पार्टी के नेतृत्व पर सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि किसी पार्टी में असंतोष फ्लोर टेस्ट का आधार नहीं होना चाहिए। राज्यपाल को जो भी प्रस्ताव मिले थे, वह स्पष्ट नहीं थे। यह पता नहीं था कि असंतुष्ट विधायक नई पार्टी बना रहे हैं या कहीं विलय कर रहे हैं।

 

 

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