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जिस सवाल को मोदी से पूछने की भारत का गोदी मीडिया 9 साल तक हिम्मत नहीं जुटा पाया वो सवाल विदेशी पत्रकार ने 33Sec में पूछ डाला !

जिस सवाल को मोदी से पूछने की भारत का गोदी मीडिया 9 साल तक हिम्मत नहीं जुटा पाया वो सवाल विदेशी पत्रकार ने 33 Sec में पूछ डाला !

भारत में जो पिछले 9 सालों में नहीं हो पाया अमेरिका में वो पिछली रात हो गया। भारत में पिछले 9 साल में प्रधानमंत्री मोदी ने कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की, किसी भी पत्रकार को उनसे सवाल पूछने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ, जिसको यह मौका मिला भी तो उनमें से किसी ने आम, किसी ने बटुए तो किसी ने बचपन की बातों पर, तो किसी ने उनके न थकने और किसी ने उनकी कथित फकीरी पर सवाल पूछा।

लेकिन अमेरिका में व्हाइट हाउस के अंदर, बाइडेन और मोदी की साझा प्रेस कांफ्रेंस के दौरान एक विदेशी पत्रकार ने प्रधानमंत्री मोदी से कुछ ऐसा पूछ लिया, जिसकी अब हर तरफ चर्चा हो रही है। चर्चा सिर्फ सवाल की ही नहीं हो रही बल्कि पीएम मोदी के जवाब की भी हो रही है।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उस विदेशी पत्रकार ने पीएम मोदी से सवाल किया। उसने कहा, भारत खुद को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहता है, लेकिन आपकी यानी मोदी सरकार पर यह आरोप हैं कि वह अपने आलोचकों को चुप करा देते हैं और भारत के अल्पसंख्यक समाज के खिलाफ भेदभाव पूर्ण तरीके से सरकार चलाते हैं। पत्रकार ने कहा कि यहां व्हाइट हाउस के इस हिस्से में खड़े होकर दुनिया के कई नेता लोकतंत्र को मजबूत करने पर बात करते हैं तो मैं आपसे पूछना चाहती हूं कि आप और आपकी सरकार अपने देश में मुसलमानों और दूसरे अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों की सुरक्षा और उनमें बेहतरी लाने के लिए क्या कोई ठोस प्लान बना रहे हैं, और अभिव्यक्ति की आजादी को मजबूत बनाने के बारे में आपका क्या विचार है?

 

पत्रकार के इस सवाल के जवाब में पीएम मोदी ने कहा कि मुझे वास्तव में आश्चर्य होता है जब लोग ऐसा कहते हैं। भारत तो लोकतंत्र है ही, जैसा कि राष्ट्रपति बाइडन ने कहा, भारत और अमेरिका, दोनों के डीएनए में लोकतंत्र है। लोकतंत्र हमारी रगों में है। हम लोकतंत्र जीते हैं। हमारे पूर्वजों ने इस बात को शब्दों में ढाला है। यह हमारा संविधान है। हमारी सरकार लोकतंत्र के मूल्यों को ध्यान में रखकर बनाए गए संविधान पर ही चलती है। पीएम मोदी ने कहा कि हमने सिद्ध किया है कि लोकतंत्र अच्छे नतीजे दे सकता है। हमारे यहां, जाति, उम्र, लिंग आदि पर  भेदभाव की बिल्कुल भी जगह नहीं है। जब आप लोकतंत्र की बात करते हैं, अगर मानव मूल्य न हों, मानवता न हो, मानवाधिकार न हों, तब उस सरकार को लोकतंत्र कहा ही नहीं जा सकता।

 

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