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प्रधानमंत्री परेशान हो गए हैं, और इस हद तक परेशान हुए हैं कि देश का नाम ही बदल देना चाहते हैं-राहुल गांधी

विपक्षी नेताओं को G20 में आमंत्रित न किया जाना यह बताता है कि वर्तमान सरकार भारत की 60% आबादी के नेताओं को महत्व नहीं देता है।

राहुल गांधी यूरोप के दौरे पर हैं और उन्हें पहले चरण में ब्रुसेल्स में यूरोपीय संसद के सदस्यों के साथ राउंड टेबिल कान्फ्रेंस की । इसी कांफ्रेंस के संबंध में उन्होंने प्रेस वार्ता के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा

विपक्षी नेताओं को G20 में आमंत्रित न किया जाना यह बताता है कि वर्तमान सरकार भारत की 60% आबादी के नेताओं को महत्व नहीं देता है। लोगों को सोचना चाहिए कि उस विचार के पीछे किस प्रकार की सोच है

 

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी इंडिया बनाम भारत के मुद्दे पर कहा है कि उन्हें इंडिया और भारत दोनों नाम पसंद हैं क्योंकि दोनों ही नाम देश के संविधान का हिस्सा हैं। राहुल गांधी ने कहा कि, ‘इंडिया, दैट इज भारत…’ से मुझे कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने कहा कि, “मेरा मानना है कि सरकार का यह पैनिक रिएक्शन है।

राहुल गांधी ने खासतौर पर कहा सरकार में डर बैठ गया है। वे लोगों को भ्रमित कर रहे हैं। हमने, विपक्ष ने अपने गठबंधन का नाम इंडिया रखा है, जो एक बहुत शानदार नाम है क्योंकि यह नाम उसी का प्रतिनिधित्व करता है जो हमारी सोच है, विचारधारा है। हम खुद को देश की आवाज मानते हैं, लेकिन जाहिर है कि इससे प्रधानमंत्री परेशान हो गए हैं, और इस हद तक परेशान हुए हैं कि देश का नाम ही बदल देना चाहते हैं, जो बेहद बुतुकी बात है, लेकिन अब है तो है….”

 

राहुल गांधी ने कहा, “यह बड़ी रोचक बात है कि जब भी हम एक मुद्दा (अडानी का मुद्दा) और क्रोनी कैपिटलिज़्म का मुद्दा उठाते हैं, प्रधानमंत्री किसी न किसी नाटकीयता के साथ सामने आते हैं, भ्रमित करने का नया पैंतरा चलते हैं। यह मजेदार है कि अडानी पर मेरे प्रेस कांफ्रेंस करने के फौरन बाद ध्यान भटकाने का काम शुरु कर दिया गया।”

 

 

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने यूरोपीय संसद के सदस्यों के साथ “लोकतांत्रिक संस्थानों पर हमले” और भारत के सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि यूरोपीय सांसदों ने इस पर गहरी चिंता जताई है क्योंकि उन्हें लगता है कि यह “भारत की लोकतांत्रिक संस्थाओं को दबाने का प्रयास” है।

दिल्ली में भारत की मेजबानी में जी-20 शिखर सम्मेलन की पूर्व संध्या पर राहुल गांधी का बयान महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वह इसलिए क्योंकि उन्होंने खुद इस बात को कहा है कि उन्होंने यूरोपीय सांसदों के साथ भारत के हालात पर चर्चा की। वैसे हाल के महीनों में राहुल गांधी की विदेश यात्राओं के दौरान उनके विमर्श के केंद्र में आमतौर पर भारत में लोकतंत्र पर हमले, विपक्ष की आवाज दबाने के प्रयास और संवैधानिक संस्थाओं पर कब्जे आदि रहे हैं।

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