देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा सुरक्षा में हुई चूक पर उठे संदेह के जवाब मिलेंगे या पुलवामा की तरह पूछने पर देशद्रोही करारा दिए जाएंगे ?
देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा सुरक्षा में हुई चूक पर उठे संदेह के जवाब मिलेंगे या पुलवामा की तरह पूछने पर देशद्रोही करारा दिए जाएंगे ?
देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा अभेद्य होती है ऐसे नहीं की कुछ प्रदर्शनकारी इसे नुकसान पंहुचा सके लेकिन कुछ सवाल जिनके जवाब देश को मिलने चाहिए क्या मिलेंगे या पुलवामा की तरह पूछने पर देशद्रोही करारा दिए जाएंगे !
1- पीएम की यात्रा योजनाएं एसपीजी की ब्लू बुक के अनुसार निर्धारित की जाती हैं। आकस्मिक मार्ग से लेकर सुरक्षित घर तक (सिर्फ प्रधानमंत्री को निकालने के मामले में) पीएम के उन्नत सुरक्षा संपर्क में एसपीजी, आईबी और राज्य पुलिस शामिल होती हैं। उन्नत सुरक्षा संपर्क (ASL ) को एक पुस्तिका के रूप में प्रकाशित किया जाता है जो कम से कम 200 पृष्ठों की हो सकती है!
2-सवाल है कि क्या PMO /एसपीजी को यह नहीं पता था कि मौसम खराब होगा। ब्लू बुक के अनुसार कम से कम 48 घंटे पहले मौसम विभाग से इनपुट लिया गया था।
3-यदि मौसम खराब हो गया और कार्यक्रम स्थल के लिए एक हेलिकॉप्टर की सवारी संभव नहीं थी, तो क्या ASL के अनुसार आकस्मिक मार्ग तय नहीं किया गया था? क्या यह आकस्मिक मार्ग था जिसे पीएम ने अपनाया था। 111 किमी की दूरी तय करने में लगभग 2 घंटे लगते हैं।
4-क्या एसपीजी ने वास्तव में प्रधानमंत्री को बिना सुरक्षा मंजूरी के दो घंटे के लिए एक असुरक्षित मार्ग पर यात्रा करने की अनुमति दी थी? ब्लू बुक के अनुसार, एसपीजी तब तक नहीं चलती जब तक संबंधित राज्य पुलिस यह अनुमति नहीं देती कि पूरे मार्ग को साफ कर दिया गया है।
5-तो अगर एसपीजी ने सड़क मार्ग से यात्रा करने का फैसला किया, तो क्या यह योजना के अनुसार था। ऐसा नहीं करने पर एसपीजी प्रमुख को बर्खास्त किया जाना चाहिए। यदि राज्य के डीजीपी ने मंजूरी दे दी कि मार्ग को साफ कर दिया गया था, जबकि मार्ग साफ़ नहीं था, तो उन्हें एसपीजी को जानबूझकर गुमराह करने के लिए अपने कागजात डालने की जरूरत है।
6-भाजपा का कहना है कि प्रदर्शनकारी (भाजपा के झंडे लहराते देखे गए) भाजपा कार्यकर्ता थे, जो पीएम के काफिले के यू टर्न लेने के बाद घटनास्थल पर आए थे। नागरिकों को एक बेहद कड़ी सुरक्षा वाले मार्ग पर जाने की अनुमति कैसे दी गई और वह भी टेंपो और बसों के साथ जब पीएम अभी भी नजर में थे।
7-काफिले में एक चेतावनी कार और एक पायलट कार शामिल है। क्या पहली कार ने भीड़ को नहीं देखा और काफिले को सतर्क कर दिया। तो काफिला प्रदर्शनकारियों के इतने करीब 20 मीटर की दूरी पर कैसे रुक गया। क्या एसपीजी को 20 मिनट प्रतीक्षा करने के बजाय तत्काल यू टर्न नहीं लेना चाहिए था?
8- प्रधानमंत्री ने हवाई अड्डे के अधिकारियों से कहा (ऐसा ANI ने दावा किया है ) कि वह एक टुकड़े में वापस आकर खुश हैं। अगर उनकी जान को खतरा है तो एसपीजी को जवाब देना होगा। सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति को आंतरिक घेरा सुरक्षा प्रदान करना केवल एसपीजी का काम है।
9-20 मिनट तक पुल पर फंसे रहने पर भी एसपीजी की क्लोज प्रोटेक्शन टीम पीएम की कार के दोनों ओर थी न कि सामने जहां कैमरे रिकॉर्ड कर रहे थे और प्रदर्शनकारी थे.!
10-पंजाब एक सीमावर्ती राज्य है और हुसैनीवाला शहीद स्मारक जहां प्रधान मंत्री थे, वह पाक सीमा से 1 किमी दूर स्थित है।
जानकारी का स्रोत विख्यात पत्रकार मीतू जैन साभार
For all those making India out to be a banana republic vis a vis the Prime Minister’s security here is some food for thought. 1.
— meetu jain (@meetujain) January 5, 2022