UNCATEGORIZED

प्याज खाने के 141 फायदे व चमत्कारिक औषधीय प्रयोग !-प्याज के गुणों पर प्रीति खत्री की विशेष जानकारी

प्याज खाने के 141 फायदे व चमत्कारिक औषधीय प्रयोग !

★ प्याज पूरे भारत में पाया जाता है। प्याज सफेद और लाल के भेद से दो प्रकार का होता है।
★ प्याज एक उत्तेजक पदार्थ है इसलिए पाचन-सम्बंधी समस्त विकारों (बीमारी) में इसका प्रयोग किया जाता है।
★ प्याज को लगभग प्रत्येक सब्जी, चपाती, चटनी, सांभर, सूप, सलाद और चाट तक में इस्तेमाल किया जाता है।
★ प्याज के काटने पर प्याज से तेज गंध आती है। प्याज को सूंघने से बंद नाक खुल जाती है।
★ प्याज कोलेस्ट्रॉल का ऑक्सीकरण करती है, जिसके परिणामस्वरूप कोलेस्ट्रॉल का स्तर घट जाता है। सुबह सोकर उठने पर कच्चे प्याज का 1 चम्मच रस लेना कोलेस्ट्राल का स्तर कम करने के लिए अच्छा रहता है।
स्वभाव : यह प्रकृति में गर्म और खुश्क है।

प्याज के गुण

प्याज पित्तनाशक, उत्तेजक और काफी नींद को लाते है। प्याज के बीज बलवर्द्धक, दंतकृमि (दांतों के कीड़े) और प्रमेह (धातु के विकार) को नाश करने वाले हैं। यह पीलिया, वातरोग, पित्तवर्धक, कफवर्धक, वेदनास्थापन (दर्द को कम करने वाला), शोथहर (सूजन को हरने वाला), व्रणशोथपाचन (जख्म की सूजन को कम करने वाला) और त्वचा के दोषों को दूर करने वाला है। प्याज दीपन (भूख को बढ़ाने वाला), पाचन (पचाने वाला), मूत्रल (पेशाब की मात्रा को बढ़ाने वाला) होता है। इसके अतिरिक्त यह शुक्राणुओं को उत्पन्न करने वाला, रक्तस्तम्भक, आर्तवजनन (मासिकस्राव लाने वाला), बाजीकरण (कामोद्दीपन), शक्तिवर्द्धक, खुजलीनाशक और चेहरे की चमक को बढ़ाने वाला वाला होता है।

प्याज से देसी घरेलु उपचार व आयुर्वेदिक नुस्खे :

बालों का झड़ना (गंजेपन का रोग) :
• प्याज का रस शहद में मिलाकर गंजेपन की जगह लगाने से फिर से बालों का उगना शुरू हो जाता है।
• प्याज के रस में नमक और कालीमिर्च का पाउडर मिलाकर मालिश करने से सिर की दाद के कारण सिर के उड़ गये बाल फिर से आने लगते हैं।
2. कफ:
• छोटे बच्चों के कफ रोगों में प्याज के 5-10 मिलीलीटर रस में 10 ग्राम शक्कर मिलाकर बच्चे को देने से लाभ होता है।
• छोटे बच्चों की माताओं को 1-2 प्याज को पीसकर पानी में उबालकर देने से कफ रोगों में लाभ होता है। इससे कफ पतला होकर बाहर निकल जाता है, घबराहट कम हो जाती है और पित्त भी बाहर निकल जाता है।
3. पेट के सभी प्रकार के रोग:
• प्याज के सेवन से भूख का बढ़ना, जिगर (यकृत), तिल्ली तथा पित्त में लाभ होता है तथा गैस दूर होकर अफारा और अन्य प्रकार की पेट की बीमारियों से राहत मिलती है। स्थान और जलवायु के बदलाव के कारण शरीर पर होने वाले दोषों को भी यह दूर करता है।
• प्याज को आग में गर्म करके रस निकाल लें। इस रस को 1 ग्राम नमक मिलाकर पीने से अम्लपित्त (एसिडिटीज) पेट के दर्द में आराम मिलता है।
4. पेट के कीड़े:
• प्याज के 10 मिलीलीटर रस में थोड़ी-सी मात्रा में सेंधानमक मिलाकर पिलाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
• प्याज के रस को शहद के साथ मिलाकर पीने से पेट के अंदर के चुन्ने कीड़े मर जाते हैं।
• प्याज को निचोड़कर प्राप्त हुए रस को छोटे बच्चों को पिलाने से पेट के कीड़ें मर जाते हैं।
• प्याज का रस आधा-आधा चम्मच की मात्रा में पीने से बच्चों के पेट में मौजूद कीड़े नष्ट हो जाते हैं।
• प्याज का रस 1 चम्मच की मात्रा में 2-2 घण्टे के अंतराल के बाद पीने से पेट के कीडे़ मर जाते हैं और पेट के दर्द में लाभ होता है।
• प्याज का आधा चम्मच रस 2 से 3 दिन तक बच्चों को देने से पेट के कीड़े और दर्द दूर होता है।
5. फुंसी होने पर: गांठ, फोड़े, यौवन पिड़िका, नारू, कंठमाला (गले की गिल्टी) आदि रोगों पर प्याज को घी में तलकर बांधने से या प्याज के रस को लगाने से अच्छा लाभ पहुंचता है।
6. जख्म की सूजन: नाड़ी शूल (नसों का दर्द) या व्रणशोथ (जख्मों की सूजन) के रोग में प्याज के चूर्ण को गर्म करके बांधने से लाभ मिलता हैं।
7. सिर में दर्द होना:
• प्याज को पीसकर पैर के तलुवों पर लेप की तरह से लगा देने से सिर के दर्द में आराम मिलता है।
• प्याज को काटकर सूंघने से लू लगने के कारण होने वाला सिर का दर्द दूर हो जाता है।
8. पेशाब में जलन:
• प्याज का काढ़ा बनाकर रोगी को पिलाने से पेशाब की जलन दूर होती है।
50 ग्राम प्याज को बारीक काटकर आधा किलो पानी में उबाल लें। आधा पानी रहने पर छानकर ठंडा करके पिलाने से पेशाब की जलन दूर होती है।
9. पेशाब के अधिक आने पर: 4 प्याजों को पीसकर चटनी बनाकर और उसमें इतना ही गेहूं का आटा डालकर हलवा बना लें। फिर हल्का सा गर्म रहने पर पेट पर इसका लेपकर लेट जायें। इससे पेशाब का ज्यादा आना बंद हो जाएगा।
10. जुंए का पड़ना: प्याज का रस सिर में लगाने से जूंए मर जाती हैं।

प्याज के गुणों पर प्रति खत्री की विशेष जानकारी
प्रीति खत्री

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
×