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जलियांवाला बाग को नया रूप दिया गया है – जिसका अर्थ है कि घटना के अंतिम निशानों को प्रभावी ढंग से हैं मिटा दिया गया !

जलियांवाला बाग का जीर्णोद्धार डायर का महिमामंडन करने का कुत्सित प्रयास जलियांवाला बाग उत्सव का स्थान नहीं है। यह शोक और गहरे, स्थायी दुःख का स्थान है !

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को एक पुनर्निर्मित जलियांवाला बाग का उद्घाटन किया जिसको लेकर पुरे देश में मोदी सरकार के खिलाफ गुस्सा फुट पड़ा है !नई सुविधाओं में एक लाइट-एंड-साउंड शो, शहीदों के कुएं का एक शीशा, और ईंट की गली का एक भव्य अलंकरण शामिल है, जिसके माध्यम से रेजिनाल्ड डायर के सैनिकों ने परिसर में प्रवेश किया था और सैकड़ों शांतिपूर्ण स्वतंत्रता-समर्थक प्रदर्शनकारियों को गोली मार दी थी।

 

शहीदों का ऐसा अपमान वही कर सकता है जो शहादत का मतलब नहीं जानता

राहुल गाँधी ने सरकार की विकृत मानसिकता को लेकर एक ट्वीट किया “जलियाँवाला बाग़ के शहीदों का ऐसा अपमान वही कर सकता है जो शहादत का मतलब नहीं जानता। मैं एक शहीद का बेटा हूँ- शहीदों का अपमान किसी क़ीमत पर सहन नहीं करूँगा। हम इस अभद्र क्रूरता के ख़िलाफ़ हैं”

 

वंही अजय कुमार खेमका नामक एक व्यक्ति ने राहुल गाँधी के ट्वीट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा  “जलीयावाला बाग़ के लाइट शो से लगता है जो स्वतंत्रता सेनानी मारे गए थे वो ख़ुशी का महोल था और इसीलिए लाइट शो कर रहे ये बहुत बड़ी बेजत्ति है स्वतंत्रता सेनानी के साथ “

घटना के अंतिम निशानों को प्रभावी ढंग से हैं मिटा दिया गया

लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी में ग्लोबल एंड इंपीरियल हिस्ट्री के प्रोफेसर किम ए वैगनर ने ट्वीट किया: “यह सुनकर तबाह हो गया कि 1919 के अमृतसर नरसंहार के स्थल जलियांवाला बाग को नया रूप दिया गया है – जिसका अर्थ है कि घटना के अंतिम निशानों को प्रभावी ढंग से हैं मिटा दिया गया । मैंने अपनी पुस्तक में स्मारक के बारे में यही लिखा है, जिसमें एक ऐसे स्थान का वर्णन किया गया है जो अब स्वयं इतिहास बन गया है।”

 

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