घूस लेने के लिए कोई विशेषाधिकार नहीं’, वोट के बदले नोट मामले में सांसदों और विधायकों पर भी चलेगा मुकदमा, सुप्रीम कोर्ट ने पलटा अपना फैसला !
सांसदों और विधायकों (MP and MLA) को वोट (Vote) के बदले रिश्वत (Bribe) लेने के मामले में मुकदमे से मिली राहत छिन सकती है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने इस छूट पर अपनी असहमति जताई (expressed disagreement) है और साल 1998 में दिए अपने पिछले फैसले (decision) को पलट दिया है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात जजों की संविधान पीठ इस मामले पर अपना फैसला सुनाया। मुख्य न्यायाधीश के अलावा संविधान पीठ में जस्टिस ए एस बोपन्ना, जस्टिस एम एम सुंदरेश, जस्टिस पी एस नरसिम्हा, जस्टिस जेपी पारदीवाला, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल रहे।
संविधान पीठ ने 1998 के झामुमो रिश्वतकांड पर दिए अपने फैसले पर पुनर्विचार के संबंध में सुनवाई पूरी कर बीते साल 5 अक्तूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अक्तूबर में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रिश्वत के बदले वोट के मामले में मिले विशेषाधिकार का विरोध किया था। सरकार ने अपनी दलील में कहा था कि रिश्वतखोरी कभी भी मुकदमे से छूट का विषय नहीं हो सकती। संसदीय विशेषाधिकार का मतलब किसी सांसद-विधेयक को कानून से ऊपर रखना नहीं है।