मध्यप्रदेश

मोदी जी ने खूब वाहवाही बटोरी 24 घण्टे मीडिया में गुणगान हुआ, अब न मोदी न मीडिया कोई सुध लेने को तैयार नहीं ,कूनो पार्क में नामीबिया से लायी मादा चीता ज्वाला के तीन शावकों में से दो शावकों की मौत जिम्मेवार कौन ?

नामीबियाई चीतों में से एक साशा की 27 मार्च को मौत हो गयी, जबकि दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीते उदय की 13 अप्रैल को और मादा चीते दक्षा ने इस साल नौ मई को दम तोड़ दिया

भारत में जन्मे चीता के दो और शावकों की कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में मौत हो गई है। एक वन अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। पिछले तीन दिनों में केएनपी में मरने वाले चीता शावकों की संख्या तीन हो गई है। इससे पहले 23 मई को वहां एक शावक की मौत हो गई थी। इन दोनों शावकों की मौत भी 23 मई को ही हो गयी थी, लेकिन इसकी सूचना बृहस्पतिवार दोपहर को मिली।

इन दोनों शावकों की की मौत की सूचना 23 मई को नहीं देने के पीछे के कारण का खुलासा अधिकारी ने नहीं किया। भारत में चीतों को पुनः बसाने की एक महत्वाकांक्षी परियोजना के हिस्से के रूप में दक्षिण अफ्रीका देशों से लाए गए चीतों को केएनपी में रखा गया है। एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, 23 मई को एक चीता शावक की मौत के बाद, निगरानी टीम ने मादा चीता ज्वाला और उसके बाकी तीन शावकों की गतिविधियों पर नजर रखी।

ज्वाला ने सितंबर में नामीबिया से केएनपी आने के बाद मार्च के अंतिम सप्ताह में चार शावकों को जन्म दिया था। ज्वाला को पहले सियाया नाम से जाना जाता था। विज्ञप्ति में बताया कि निगरानी दल ने 23 मई को पाया कि तीनों शावकों की हालत ठीक नहीं है और उनका उपचार कर बचाने का निर्णय लिया गया। उस समय दिन का तापमान 46 से 47 डिग्री सेल्सियस के आसपास था। इलाज के बावजूद दोनों शावकों को बचाया नहीं जा सका।

चौथे शावक की हालत स्थिर है और उसका भी गहन इलाज चल रहा है। चीतों के विलुप्त होने के 70 साल बाद भारत में पिछले साल चीतों को दक्षिण अफ्रीकी देशों से दो जत्थों में केएनपी लाया गया था।

नामीबियाई चीतों में से एक साशा की 27 मार्च को गुर्दे की बीमारी के कारण मौत हो गयी, जबकि दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीते उदय की 13 अप्रैल को मौत हो गयी। वहीं, दक्षिण अफ्रीका से लाए गए मादा चीते दक्षा ने इस साल नौ मई को दम तोड़ दिया था।

 

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