डर से कांपता भारत का मीडिया और ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की गूँज से अभिभूत न्यूयार्क टाइम्स ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पर छापा लंबा लेख !
डर से कांपता भारत का मीडिया और 'भारत जोड़ो यात्रा' की गूँज से अभिभूत न्यूयार्क टाइम्स ने 'भारत जोड़ो यात्रा' पर छापा लंबा लेख !
कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी भारत जोड़ो यात्रा पर निकले है राहुल गांधी खुले मंच से कई दफा कह भी चुके हैं कि भारत का मीडिया उन्हें नहीं दिखाता। उसके पीछे की वजह भी राहुल गांधी ने कई बार बताई है। भारत के अलावा बाहरी मुल्कों तक राहुल की यह यात्रा पहुंच रही है। लेकिन अपने ही देश में किसी राजनीतिक दल के मुख्य विपक्ष को जगह ना देना मीडिया का गला पकड़े जाने का संकेत देता है।
जहाँ एक तरफ भारत का राष्ट्रीय मीडिया इस यात्रा का लगातार नज़रअंदाज़ किये हुए है वंही दूसरी और सोशल मीडिया पर एक बड़ा स्वंत्रत पत्रकार तबका जो का लगातार ज़िक्र भी कर रहा है और अपने तरीके से लिख भी रहा है
न्यूयॉर्क टाइम्स ने #भारत_जोड़ो_यात्रा पर लंबा लेख छापा है.
"भारत जोड़ो यात्रा में @RahulGandhi मिलने वालों में कर्ज़ से जूझते किसान, आदिवासी और अपने भविष्य को लेकर चिंतित युवा शामिल हैं.."
भारत में संपादकीय पेजों में लिखने वाले अभी मोदी से डरे हुये हैं.https://t.co/TZNHjMwH4U— Prashant Tandon (@PrashantTandy) December 4, 2022
इसी कड़ी में अब न्यूयार्क टाइम्स ने भी इस यात्रा पर एक संपादकीय लिखा है और बड़े विस्तार से यात्रा के बारे में बताया है देश के वरिष्ठ पाटकार प्रशांत टंडन ने अपने ट्विटर हैंडल से इस खबर का टैग करते हुए लिखा है की “न्यूयॉर्क टाइम्स ने #भारत_जोड़ो_यात्रा पर लंबा लेख छापा है.
“भारत जोड़ो यात्रा में
@RahulGandhi
मिलने वालों में कर्ज़ से जूझते किसान, आदिवासी और अपने भविष्य को लेकर चिंतित युवा शामिल हैं..”
भारत में संपादकीय पेजों में लिखने वाले अभी मोदी से डरे हुये हैं.”
प्रशांत ने न्यूयॉर्क टाइम्स में भारत जोड़ो यात्रा और राहुल गांधी पर छपे लेख के कुछ अंश भी साझा किये है
न्यूयॉर्क टाइम्स में भारत जोड़ो यात्रा और राहुल गांधी पर छपे लेख के कुछ अंश. #BharatJodoYarta #RahulGandhi https://t.co/TZNHjMwH4U pic.twitter.com/XyOj4RcQVH
— Prashant Tandon (@PrashantTandy) December 4, 2022
2014 के बाद भारतीय मीडिया का इस तरह सत्ता की चाटुकारित और जी हज़ूरी करने से देश के प्रजातंत्र के लिए बहुत बड़ा खतरा खड़ा हो गया है । सत्ता, सरकार और सिस्टम के खिलाफ बोलने या लिखने-दिखाने वाले पत्रकार को न सिर्फ बर्बाद किया जा रहा है बल्कि उनके चरित्र का भी जमींदोज कर दिया जा रहा है।