मध्यप्रदेश

और कुछ लोग भ्रष्टाचार के लिए नाम नहीं बदलते ! मध्य प्रदेश में 50 फीसदी कमीशन दिए बगैर नहीं होता भुगतान, लघु ठेकेदार संघ का पत्र वायरल होने से गरमाई MP की सियासत !

50 फीसदी कमीशन दिए बगैर नहीं होता भुगतान, लघु ठेकेदार संघ का पत्र वायरल होने से गरमाई MP की सियासत !

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में कुछ ही महीनों का वक्त बचा है और शिवराज सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी हुई है। प्रदेश के कॉन्ट्रैक्टर एसोसिएशन ने 50 फीसदी कमीशन मांगने का आरोप लगाते हुए शिवराज सरकार को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया। आरोप है कि ठेकेदारों को 50 फीसदी कमीशन देने के लिए मजबूर किया जाता है। लघु ठेकेदार संघ ने इस संबंध में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा है। पत्र वायरल होने के बाद प्रदेश की सियासत में भूचाल आ गया है।

 

कांग्रेस नेता अरुण यादव ने पत्र शेयर करते हुए लिखा कि यह सबूत है कि मध्य प्रदेश में बिना 50 परसेंट दिए किसी भी ठेकेदार का कोई भुगतान नहीं होता। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूछा कि क्या खेल आपकी देख रेख में ही यह चल रहा है?

 

लघु ठेकेदार संघ ने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को संबोधित पत्र में लिखा है कि, ‘बीजेपी की वर्तमान सरकार जब से अस्तित्व में आई, तब से लेकर अब तक हम संविदाकारों का जीवन नरक की तरह हो गया है। लगभग हर जिले में बड़े पैमाने पर निर्माण कार्यों के भुगतान लंबित हैं। किसी भी जिले में पुराने कार्यों का भुगतान करने के लिए कोई बजट नहीं आवंटित किया जा रहा है। विभागीय अधिकारी सरकार से राशि अप्राप्त होने की बात करते हैं। सरकार में कोई सुनने और देखने वाला नहीं है। कुछ दलाल किस्म के लोग सक्रिय हैं जो 50% कमीशन लेकर भुगतान करा रहे हैं।’

हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को संबोधित इस पत्र में कहा गया है कि हमारा भुगतान मूल ठेकेदार को प्राप्त होने वाले भुगतान पर निर्भर करता है। मूल ठेकेदार हमें निविदा में स्वीकृत राशि का मात्र 40% हिस्सा देकर कार्य कराते हैं। कुल स्वीकृत राशि में से 50% राशि कमीशन के तौर पर बंट जाती है, 10% राशि मूल ठेकेदार रखते हैं और शेष 40% में ही हमें कार्य भी कराना होता है और अपना परिवार भी पालना होता है।

 

पत्र में लघु ठेकेदार संगठन ने सीएम शिवराज पर गंभीर आरोप हुए लिखा कि हमारे संगठन के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलकर अपनी पीड़ा बताई थी। मुख्यमंत्री ने हमें भुगतान कराने का आश्वासन भी दिया। हमारे लिए अपने ओएसडी को फ़ोन भी किया लेकिन ओएसडी सर से मिलने पर उन्होंने चुनावी वर्ष का हवाला देते हुए भुगतान की जाने वाली राशि का 50% पार्टी के लिए खर्च करने की बात कहकर हमें निराश किया है। संघ ने मुख्य न्यायाधीश से पूछा कि आखिर हम पेटी कांट्रेक्टर कहाँ जाएँ?

 

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