राष्ट्रीय

आज का दिन प्रधान मंत्री को आत्मग्लानि दिवस के रूप में नागपुर में बैठ कर मनाना चाहिए- पवन खेड़ा

बँटवारे का इतिहास 1947 से नहीं, 1923 से शुरू होता है उस पुस्तक से जिसके लेखक थे विनायक दामोदर सावरकर,

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को घोषणा की कि 14 अगस्त को लोगों के संघर्षों एवं बलिदान की याद में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाएगा और कहा कि बंटवारे के दर्द को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता।

पीएम मोदी ने शनिवार को अपने ट्वीट में लिखा, “देश के बंटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता। नफरत और हिंसा की वजह से हमारे लाखों बहनों और भाइयों को विस्थापित होना पड़ा और अपनी जान तक गंवानी पड़ी। उन लोगों के संघर्ष और बलिदान की याद में 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के तौर पर मनाने का निर्णय लिया गया है।”
उन्होंने अपने ट्वीट में आगे लिखा, “#PartitionHorrorsRemembranceDay का यह दिन हमें भेदभाव, वैमनस्य और दुर्भावना के जहर को खत्म करने के लिए न केवल प्रेरित करेगा, बल्कि इससे एकता, सामाजिक सद्भाव और मानवीय संवेदनाएं भी मजबूत होंगी।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस एलान के बाद से देश भर में टू नेशन थ्योरी को लेकर अब बहस छिड़ गयी है. जहाँ ज़्यादातर लोग इसे मोदी की विभाजनकारी मानसिकता बता रहे है वहीँ लोग ये सवाल पूछ रहे है की सावरकर ने जिन्ना को पाकिस्तान की मांग करने के लिए बधाई दी थी इस पर भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का क्या कहना है !

इसी विवाद के चलते भारतीय युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव अमरीश रंजन ने एक ट्वीट किया है जिसमे उन्होंने एक अखबार का स्क्रीन शॉट साझा किया है जिसमे लिखा है “सावरकर ने ने बधाई दी .और ट्वीट में अमरीश ने लिखा है “एक ऐतिहासिक दस्तावेज हाथ लग है। जिसमें सावरकर जिन्ना को पाकिस्तान की मांग करने के लिए बधाई दे रहे हैं इस ऐतिहासिक दस्तावेज पर संघ परिवार के लोगों की क्या राय है? क्या सावरकर और जिन्ना एक दूसरे के पूरक नहीं हैं? “

 
बँटवारे का इतिहास 1947 से नहीं, 1923 से शुरू होता है उस पुस्तक से जिसके लेखक थे विनायक दामोदर सावरकर

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
×