स्वास्थ्य

पीरियड्स मासिक चक्र या मासिक धर्म क्या होता है जानिए, सम्पूर्ण जानकारी पर प्रमाणित प्राकृतिक चिकित्सक प्रीती खत्री का विशेष लेख

पीरियड्स मासिक चक्र या मासिक धर्म क्या होता है जानिए, सम्पूर्ण जानकारी पर प्रमाणित प्राकृतिक चिकित्सक प्रीती खत्री का विशेष लेख

मासिक धर्म क्या है…

ये शारीरिक प्रक्रिया सभी क्रियाओं से अधिक महवपूर्ण है। इस प्रक्रिया से ही मनुष्य का संसार चलता है। मानव की उत्पत्ति इसके बिना नहीं हो सकती। प्रकृति ने स्त्रियों को गर्भाशय ओवरी फेलोपियन ट्यूब, और वजाइना देकर उसे सन्तान उत्पन्न करने की विशेष क्षमता दी है। इसलिए पीरियड्स या मासिक धर्म गर्व की बात होनी चाहिए ना कि शर्म या हीनता की। सिर्फ इसे समझना और संभालना आना जरुरी है। इस प्रक्रिया से घबराने या कुछ गलत या गन्दा होने की हीन भावना महसूस करने की बिल्कुल आवश्यकता नहीं है। पीरियड्स मासिक धर्म को एक सामान्य शारीरिक गतिविधि ही समझना चाहिए जैसे उबासी आती है या छींक आती है। भूख, प्यास लगती है।

मासिक धर्म को माहवारी, रजोधर्म, मेंस्ट्रुअल साइकिल और पीरियड्स के नाम से भी जाना जाता है। महिलाओं के शरीर में हार्मोन में होने वाले बदलाव की वजह से गर्भाशय से स्क्त और अंदरूनी हिस्से से होने वाली स्त्राव को मासिक धर्म कहते हैं। मासिक धर्म सबको एक ही उम्र में नहीं होता। लड़कियों को यह 8 से 17 वर्ष तक ही उम्र में हो सकता हैं। कुछ विकसित देशों में लड़कियों को 12 या 13 साल की उम्र में पहला मासिक-धर्म होता है। वैसे सामान्य तौर पर 11 से 13 वर्ष की उम्र में लड़कियों का मासिक धर्म शुरू हो जाता है।

लड़की को किस उम्र में मासिक धर्म शुरू होगा, यह कई बातों पर निर्भर करता है। लड़की के जीन्स की रचना, खान-पान, काम करने का तरीका, वह जिस जगह पर रहती है, उस स्थान की ऊंचाई कितनी है आदि। पीरियड्स या मासिक धर्म महीने में एक बार आता है। यह चक्र सामान्य तौर पर 21 से 35 दिनों का होता है। महिला जब तक गर्भवती न हो जाए यह प्रक्रिया हर महीने होती है। मतलब 21 से 35 दिनों के बीच नियमित तौर पर मासिक धर्म या माहवारी होती है। कुछ लड़कियों या महिलाओं को माहवारी 3 से 5 दिनों तक रहती है, तो कुछ को 2 से 7 दिनों तक।


मासिक चक्र-

दो पीरियड्स के बीच का नियमित समय मासिक चक्र कहलाता है। नियमित समय पर पीरियड्स होने का मतलब है कि शरीर के सभी प्रजनन अंग स्वस्थ है और अच्छा काम कर रहे है। मासिक चक्र की वजह से ऐसे हार्मोन बनते है जो शरीर को स्वस्थ रखते है। हर महीने ये हार्मोन शरीर को गर्भ धारण के लिए तैयार कर देते है।
मासिक चक्र के दिन की गिनती पीरियड्स शुरू होने के पहले दिन से अगली पीरियड्स शुरू होने के पहले दिन तक की जाती है। लड़कियों में मासिक चक्र 21 दिन से 35 दिन तक का हो सकता है। सामान्य तौर पर मासिक चक्र 28 दिन का होता है।

मासिक चक्र के समय शरीर में परिवर्तन–
हार्मोन्स में परिवर्तन
मासिक चक्र के शुरू के दिनों में एस्ट्रोजन नामक हार्मोन बढ़ना शरू होता है। ये हार्मोन शरीर को स्वस्थ रखता है विशेषकर ये हड्डियों को मजबूत बनाता है। साथ ही इस हार्मोन के कारण गर्भाशय की अंदरूनी दीवार पर रक्त और टिशूज़ की एक मखमली परत बनती है ताकि वहाँ भ्रूण पोषण पाकर तेजी से विकसित हो सके। ये परत रक्त और टिशू से बनी होती है।

ओव्यूलेशन

संतान उत्पन्न होने के क्रम में किसी एक ओवरी में से एक विकसित अंडा डिंब निकल कर फेलोपीयन ट्यूब में पहुँचता है। इसे ओव्यूलेशन कहते है। आमतौर पर ये मासिक चक्र के 14 वें दिन होता है । कुछ कारणों से थोड़ा आगे पीछे हो सकता है। ओव्यूलेशन के समय कुछ हार्मोन जैसे एस्ट्रोजन आदि अधिकतम स्तर पर पहुँच जाते है। इसकी वजह से जननांगों के आस पास ब्लड सर्कुलेशन बढ़ जाता है। योनि के स्राव में परिवर्तन हो जाता है। जिसके कारण महिलाओं की सेक्सुअल डिजायर बढ़ जाती हैं। इसलिए इस ड्यूरेशन में सेक्स करने पर प्रेग्नेंट होने के चन्वेस बढ़ जाते हैं।

अंडा

फेलोपियन ट्यूब में अगर अंडा शुक्राणु द्वारा निषेचित हो जाता है तो भ्रूण का विकास क्रम शुरू हो जाता है। अदरवाइज 12 घंटे बाद अंडा खराब हो जाता है। अंडे के खराब होने पर एस्ट्रोजन हार्मोन का लेवल कम हो जाता है। गर्भाशय की ब्लड व टिशू की परत की जरुरत ख़त्म हो जाती है। और ऐसे में यही परत नष्ट होकर योनि मार्ग से बाहर निकल जाती है। इसे ही पीरियड्स, मेंस्ट्रुल साइकिल, महीना आना या रजोधर्म भी कहा जाता है। और इस दौर से गुजऱने वाली स्त्री को रजस्वला कहा जाता है।

ब्लीडिंग

पीरियड्स के समय अक्सर यह मन में यह मन में यह सवाल आता है की ब्लीडिंग कितने दिन तक होना चाहिए और कितनी मात्रा में होना चाहिए कि जिसे सामान्य मानें। पीरियड यानि MC के समय निकलने वाला स्राव सिर्फ रक्त नहीं होता है। इसमें नष्ट हो चुके टिशू भी होते है। अतः ये सोचकर की इतना सारा रक्त शरीर से निकल गया, फिक्र नहीं करनी चाहिए। इसमें ब्लड की क्वांटिटी करीब 50 ml ही होती है। नैचुरली पीरियड्स तीन से छः दिन तक होता है। तथा स्राव की मात्रा भी अलग अलग हो सकती है। यदि स्राव इससे ज्यादा दिन तक चले तो डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए।

पीरियड्स से पहले के लक्षण-

लड़कियों को शुरू में अनियमित पीरियड्स, ज्यादा या कम दिनों तक पीरियड, कम या ज्यादा मात्रा में स्राव, डिप्रेशन आदि हो सकते है। इसके अलावा पीएमएस यानि पीरियड्स होने से पहले के लक्षण नजर आने लगते है। अलग अलग स्त्रियों को पीएमएस के अलग लक्षण हो सकते है। इस समय पैर, पीठ और अँगुलियों में सूजन या दर्द हो सकता है। स्तनों में भारीपन, दर्द या गांठें महसूस हो सकती है। सिरदर्द, माइग्रेन, कम या ज्यादा भूख, मुँहासे, त्वचा पर दाग धब्बे, आदि हो सकते है। इस तरह के लक्षण पीरियड शुरू हो जाने के बाद अपने आप ठीक हो जाते है। इसलिए उन दिनों में अपने आपको सहारा डैम और मजबूत बनें।

मासिक धर्म या माहवारी आने से पहले महिला के शरीर में कुछ लक्षण दिखाई पड़ते हैं। जैसे- माहवारी से पहले पेट में दर्द और ऐंठन की समस्या। मासिक धर्म शुरू होने के साथ डायरिया या उल्टी की समस्या भी हो सकती है। मासिक धर्म शुरू होने के साथ पेट में समस्या के अलावा खाने की इच्छा भी बढ़ जाती है। सामान्य दिनों की तुलना में माहवारी के दौरान महिलाएं ज्यादा खाने लगती हैं। इस वजह से मासिक धर्म के दौरान कई बार वजन बढ़ने की भी संभावना रहती है।

मासिक धर्म शुरू कैसे होता है…

जब कोई लड़की किशोरावस्था में पहुंचती है तब उसके अंडाशय इस्ट्रोजन एवं प्रोजेस्ट्रोन नामक हार्मोन उत्पन्न करने लगते हैं। इन हार्मोन की वजह से हर महीने में एक बार गर्भाशय की परत मोटी होने लगती है। कुछ अन्य हार्मोन अंडाशय को एक अनिषेचित डिम्ब उत्पन्न एवं उत्सर्जित करने का संकेत देते हैं। सामान्यतः अगर लड़की माहवारी के आसपास यौन संबंध नहीं बनाती हैं तो गर्भाशय की वह परत जो मोटी होकर गर्भावस्था के लिए तैयार हो रही थी, टूटकर रक्तस्राव के रूप में बाहर निकल जाती है। इसे मासिक धर्म कहते हैं।

मासिक चक्र की वजह से ऐसे हार्मोन बनते हैं जो शरीर को स्वस्थ रखते हैं। हर महीने ये हार्मोन शरीर को गर्भधारण के लिए तैयार कर देते हैं। मासिक चक्र के दिन की गिनती पीरियड्स शुरू होने के पहले दिन से अगले पीरियड्स शुरू होने के पहले दिन तक की जाती है। लड़कियों में मासिक चक्र 21 दिन से 35 दिन तक का हो सकता है। सामान्य तौर पर मासिक चक्र 28 दिन का होता है।

हार्मोंस में परिवर्तन

मासिक चक्र के शुरू के दिनों में एस्ट्रोजन नामक हार्मोन बढ़ना शरू होता है। ये हार्मोन शरीर को स्वस्थ रखता है, खासतौर पर हड्डियों को मजबूत बनाता है। साथ ही इस हार्मोन के कारण गर्भाशय की अंदरूनी दीवार पर रक्त और टिशूज की एक मखमली परत बनती है, ताकि वहां भ्रूण पोषण पाकर तेजी से विकसित हो सके। ये परत रक्त और टिशू से बनी होती है।

ब्लीडिंग

पीरियड्स के समय अक्सर यमासिक धर्म की चिकित्सा परिभाषा–

मेडिकली, मासिक धर्म (जिसे पीरियड या ब्लीडिंग भी कहा जाता है), महिलाओं में होने वाली एक प्रक्रिया होती हैं जिसमे एक लगभग मासिक अंतराल पर महिला के गर्भाशय से योनि के माध्यम से रक्त का स्राव या ब्लीडिंग, और ऊतक के मलबे का एक चक्रीय निर्वहन होता है। यह प्रक्रिया यह दर्शाती है कि महिला गर्भवती नहीं है और पूर्ववर्ती ओव्यूलेशन के साथ आने वाले प्रोलिफ़ेरेटिव परिवर्तनों के बाद गर्भाशय की एक पुनः उत्पीड़न का प्रतिनिधित्व करने के लिए माना जाता है। मासिक धर्म सामन्यतः किसी भी महिला के यौवन अवस्था से एक मासिक अंतराल तक रजोनिवृत्ति (नियमित मासिक धर्म चक्र की समाप्ति) तक होता है।

मासिक धर्म चक्र प्रक्रिया–

मासिक धर्म चक्र में कई चरण शामिल होते हैं। चक्र के चरणों का सटीक समय प्रत्येक महिला के लिए थोड़ा अलग हो सकता है और किसी एक महिला के लिए यह समय के साथ बदल भी सकता है।ह मन में सवाल आता है कि ब्लीडिंग कितने दिन तक होना चाहिए और कितनी मात्रा में होना चाहिए कि जिसे सामान्य माना जाए। पीरियड के समय निकलने वाला स्राव सिर्फ रक्त नहीं होता है। इसमें नष्ट हो चुके टिशू भी शामिल होते हैं। इसमें ब्लड की क्वांटिटी करीब 50 एमएल ही होती है।

जब कोई किशोर लड़का या लड़की अपनी युवावस्था में प्रवेश करने वाले होते हैं तो उनकी शरीर की प्रक्रिया में बदलाव होता है, इन बदलावों के कारण ही बच्चे का शरीर वयस्क होने में सक्षम हो पाता है। लड़कियों में यह शारीरिक बदलाव मासिक धर्म और अन्य शरीर की प्रक्रियाओं के रूप में आते हैं जो एक सामान्य बदलाव होता है। मासिक धर्म की प्रक्रिया के माध्यम से ही महिलाएं स्वयं को संभावित गर्भावस्था के लिए तैयार करती हैं। मेंस्ट्रुएशन, मासिक धर्म चक्र (हार्मोन का नियमित चक्र) का एक हिस्सा है जो महिला प्रजनन प्रणाली में होता है जो गर्भावस्था को संभव बनाता है।

मासिक धर्म आमतौर पर 3-5 दिन तक चलते हैं और सामन्यतः 28 दिन के अंतराल पर आते हैं।

1- 5 दिन: मासिक धर्म के रक्तस्राव के पहले दिन को चक्र का दिन 1 माना जाता है। आपकी अवधि 3 से 8 दिनों तक रह सकती है, लेकिन यह औसतन 5 दिन ही होती है।रक्तस्राव आमतौर पर पहले 2 दिनों में सबसे ज्यादा होता है।
6 -14 दिन: छठे दिन लगभग रक्तस्राव बंद हो जाता है, तो गर्भाशय की अस्तर (जिसे एंडोमेट्रियम भी कहा जाता है) गर्भावस्था की संभावना के लिए तैयार होना शुरू कर देता है। धीरे धीरे गर्भाशय अस्तर मोटा हो जाता है और रक्त और पोषक तत्वों में समृद्ध हो जाता है।
14 – 25 दिन: 14 दिन के आसपास, महिला के अंडाशय/ओवरी से एक अंडा निकलता है और फैलोपियन ट्यूब से गर्भाशय तक अपनी यात्रा शुरू करता है। यदि इस समय शुक्राणु फैलोपियन ट्यूब में मौजूद हैं, तो निषेचन (फर्टिलाइजेशन) हो सकता है। ऐसा होने पर निषेचित अंडा गर्भाशय की यात्रा करेगा और गर्भाशय की दीवार में प्रत्यारोपित होने का प्रयास करेगा।
25 – 28 दिन: यदि अंडा फर्टिलाइज़्ड नहीं हुआ है या आरोपण नहीं हुआ है, तो हार्मोनल परिवर्तन गर्भाशय को उसके अस्तर को बहाने के लिए संकेत देते हैं, और अंडा टूट जाता है और अस्तर के साथ बह जाता है। इसके बाद यह चक्र पुनः प्रारम्भ हो जाता है।
मासिक धर्म के लक्षण
रक्तस्राव के अलावा कुछ महिलाएं मासिक धर्म के दौरान कुछ विशिष्ट लक्षणों का अनुभव करती है, ये लक्षण मासिक धर्म के दौरान या बाद में भी दिखाई दे सकते है और यह भी आवश्यक नहीं है की प्रत्येक महिला इन लक्षणों का अनुभव करे-
पेट में ऐंठन
पेट के निचले हिस्से में दर्द होना
पेट में सूजन
पीरियड्स से पहले कब्ज
मुंहासे
थकान
मूड में बदलाव
सिरदर्द
पेट फूलना
भोजन की कमी
स्तन दर्द
दस्त
मासिक धर्म कब प्रारम्भ होते हैं और कब समाप्त होते हैं
कब प्रारम्भ होते हैं
किसी लड़की की माहवारी प्रारम्भ होने की औसत आयु 12 है। इसका मतलब यह नहीं है कि सभी लड़कियों को एक ही उम्र में माहवारी प्रारम्भ होती हैं। मासिक धर्म प्रारम्भ होना पूर्णतया लड़की की शारीरिक विकास पर निर्भर करता है। एक लड़की को 8 और 17 की आयु के बीच कभी भी माहवारी प्रारम्भ हो सकती है। अधिकतर जब एक लड़की के स्तनों में वृद्धि प्रारम्भ होती है उसके करीबन 2 साल बाद पीरियड्स शुरू होते हैं। यदि किसी लड़की की 15 साल की आयु तक माहवारी प्रारम्भ नहीं हुई है, या अगर स्तन वृद्धि शुरू होने में 2 से 3 साल से अधिक समय हो गया है, तो उसे डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

माहवारी के दौरान, योनि के माध्यम से गर्भाशय की मोटी परत और अतिरिक्त रक्त बह जाता है। आपके पीरियड्स हर महीने एक समान नहीं हो सकते। यह अन्य महिलाओं के पीरियड्स से भिन्न भी हो सकता है। योनि से कितना खून निकलता है, इस संबंध में पीरियड्स हल्के, मध्यम या भारी हो सकते हैं। इसे मासिक धर्म प्रवाह कहा जाता है। प्रत्येक माह पीरियड्स की अवधि भी भिन्न होती है। अधिकांश अवधि 3 से 5 दिनों तक रहती हैं। लेकिन, यह 2 से 7 दिनों में कितने भी दिन हो सकती है।

कब समाप्त होते हैं

महिलाओं में आमतौर पर मासिक धर्म रजोनिवृत्ति तक की अवधि तक होते हैं। रजोनिवृत्ति आमतौर पर 50 वर्ष की आयु के आसपास या 45 और 55 वर्ष की आयु के बीच होती है। रजोनिवृत्ति का मतलब होता है कि एक महिला अब अंडाणु पैदा नहीं कर पायेगी (अंडे का उत्पादन नहीं कर पाना) या अब गर्भवती नहीं हो सकती है। मासिक धर्म की तरह, रजोनिवृत्ति महिला – महिला में भिन्न हो सकती है और यह परिवर्तन कई वर्षों तक हो सकता है।
मासिक धर्म जब प्रारम्भ होते हैं तब और पहले कुछ वर्षों तक, पीरियड्स के लम्बे साइकिल होना बहुत सामान्य होता है। परन्तु आयु के बढ़ने के साथ साथ यह नियमित होता जाता है और मासिक धर्म चक्र छोटा होता जाता है। ज्यादातर समय, एक महिला के पीरियड्स 21 से 35 दिन की सीमा में होते हैं।
गर्भावस्था के दौरान और स्तनपान करवाने के दौरान पीरियड्स रुक जाते हैं। कुछ महिलाओं में लंबे समय तक बीमारी, कम शरीरिक वजन, तनाव, बहुत अधिक व्यायाम और हार्मोन की समस्याओं के कारण मासिक धर्म रूक जाते हैं। इसके अलावा गर्भनिरोधक जैसी कुछ दवाएं, आपके मासिक धर्म को रोक सकती हैं। यह कुछ महिलाओं के लिए मददगार हो सकता है, खासकर अगर उनके पीरियड्स काफी ज्यादा या दर्दनाक होते हैं। कभी-कभी गोली या अन्य गर्भनिरोधक दवा को बंद करने के कुछ समय बाद, आपके मासिक धर्म पुनः प्रारम्भ होने में थोड़ा समय ले सकते है। जब महिलाएं रजोनिवृत्ति तक पहुँचती हैं तो मासिक धर्म पूरी तरह से रुक जाते हैं – जिसकी औसत आयु 51-52 वर्ष है।

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