स्वास्थ्य

जानें विटामिन डी के फायदे और इसके स्रोत ,विटामिन डी पर प्रमाणित प्राकृतिक चिकित्सक प्रीती खत्री का लेख !

जानें विटामिन डी के फायदे और इसके स्रोत ,विटामिन डी पर प्रमाणित प्राकृतिक चिकित्सक प्रीती खत्री का लेख !

विटामिन डी की आपूर्ति किस प्रकार करनी चाहिए जानिए-

विटामिन डी के स्तर का रक्त में मापने के लिए 25(OH)D का प्रयोग किया जाता है। इस मापक का अर्थ है कि शरीर में विटामिन डी कितनी मात्रा में है। दिए गए स्तरों के अनुसार किसी के शरीर में विटामिन डी के स्तर को मापा जा सकता है-
पर्याप्त मात्रा में : 25(OH)D पर 20 ng/ml (50 nmol/l)  से अधिक
अपर्याप्त मात्रा में : 25(OH)D पर 20 ng/ml (50 nmol/l)  से कम
अपूर्ण या कम : 25(OH)D पर 12 ng/ml (25 nmol/l)  से कम

आपके शरीर को कितने विटामिन डी की आवश्यकता है, यह कई कारकों पर निर्भर करता है। इन कारकों में उम्र, नस्ल, मौसम, सूरज का प्रदर्शन, कपड़े और बहुत कुछ शामिल हैं। इसके अलावा अधिक वजन वाले या मोटे लोगों को अधिक मात्रा में विटामिन डी की आवश्यकता हो सकती है। इन सभी आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर माना जाता है कि व्यक्ति को आम तौर पर 1000-4000 IU विटामिन डी की  दैनिक तौर पर सेवन करना चाहिए।

विटामिन डी3 की कमी के आम लक्षण

विटामिन डी3 के कमी के कुछ प्राथमिक लक्षण भी होते हैं। जो वैसे तो इतने आम होते हैं कि इसकी कमी के बारे में समझना मुश्किल हो जाता है। विटामिन का मूल काम कोशिकाओं का विकास, प्रतिरक्षा क्षमता बढ़ाना, सूजन कम करना और नॉर्मल बोन मिनरल डेन्सिटी को मेंटेन (BMD) करना है।

बार-बार बीमार पड़ना– विटामिन डी के कमी के कारण इम्युनिटी सिस्टम कमजोर हो जाता है जिसके कारण बार-बार सर्दी-खांसी या फीवर या लंग डिज़ीज होने का खतरा बढ़ जाता है।

बहुत ज्यादा थकान महसूस होना- थकान महसूस होना तो सबसे आम लक्षण होता है क्योंकि शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाती है। इसके कारण हमेशा नींद या  किसी भी काम को करने की ऊर्जा नहीं रहती है।

पीठ,  मांसपेशियों या हड्डियों में दर्द होना- जैसा कि पहले ही कहा जा चुका है कि विटामिन डी हड्डियों को स्वस्थ रहने में मदद करता है इसलिए विटामिन डी की कमी से जोड़ो में या पीठ में या मसल्स में दर्द महसूस होता है।

हड्डियों के टूटने की संभावना-  विटामिन डी हड्डियों को मजबूत करने में अहम् भूमिका निभाता है। इसलिए विशेषकर वृद्धावस्था में इसकी कमी के कारण हड्डियां बार-बार टूटने लगती हैं।

रिकेट्स या सूखा रोग– वैसे तो आजकल इस रोग के होने की  संभावना ना के बराबर हो गई है लेकिन इसकी हद से ज्यादा कमी के कारण बच्चों में सूखा रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।

विटामिन डी3 की कमी से होने वाली बीमारियां-

ऑस्टियोपोरोसीस या फ्रैक्चर (Osteoporosis and fracture)
विटामिन डी3 ब्लड से कैल्शियम सोखने में अहम् भूमिका निभाता है। तो आप समझ ही सकते हैं कि विटामिन डी3 की कमी का सबसे ज्यादा असर हड्डियों पर पड़ता है जिसके कारण हड्डियों के टूटने की संभावना बढ़ जाती है।

मांसपेशियां कमजोर होना और बार-बार गिरना
विटामिन डी3 की कमी के कारण मांसपेशियों में न सिर्फ दर्द होता है बल्कि वह कमजोर भी हो जाते हैं क्योंकि  मांसपेशियों के कार्य को बेहतर बनाने में विटामिन डी3 काम करता है।

उच्च रक्त चाप और दिल की बीमारी
कई अध्ययनों में ये बताया गया है कि विटामिन डी3 की कमी से दिल का दौरा पड़ने की संभावना रहती है। इसलिए रक्त चाप को हमेशा नियंत्रण में रखने की जरूरत होती है।

कैंसर

शायद आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि जितना ब्लड में विटामिन डी होगा उतना कोलोन कैंसर होने की संभावना कम हो जाती है।

विटामिन डी के उत्पादन में किडनी की भूमिका
शरीर में विटामिन डी के चयापचय में किडनी की महत्वपूर्ण भूमिका है। सूरज की रोशनी से त्वचा में उत्पन्न होने वाला विटामिन डी निष्क्रिय रूप में होता है। किडनी इस निष्क्रिय विटामिन डी को सक्रिय विटामिन डी में बदलती है। इस सक्रिय रूप को कैल्सीट्रियोल ( calcitriol) कहा जाता है। यह तत्व विटामिन डी के अधिकांश कामों के लिए जिम्मेदार होता है।

यदि आपकी किडनी, किडनी की खराबी से जूझ रही हैं तो, विटामिन डी को शरीर के हिसाब से सक्रिय रूप में बदलना कम या बंद कर सकती है। जिससे शरीर में विटामिन डी का स्तर कम या कभी-कभी गंभीर रूप से कम हो सकता है।

क्या हैं विटामिन डी के खाद्य स्रोत

विटामिन डी एक-मात्र ऐसा पोशक तत्व है जिसे हमारा शरीर सूरज की रोशनी से प्राप्त करता है। हालांकि अध्ययनों का मानना है कि विश्व की लगभग 50 फीसदी जनसंख्या विटामिन डी को पर्याप्त मात्रा में प्राप्त नहीं कर पाती। जिसकी मुख्य वजह लोगों का धूप से बचना और अंदर रहना है। ऐसे में सवाल आता है कि बिना धूप में जाए पर्याप्त विटामिन डी कैसे प्राप्त किया जाए।

गौरतलब है कि विटामिन डी सूरज की रोशनी और कुछ खाद्य पदार्थों से हमें मिल सकता है। तो विटामिन डी केवल पशुओं (मछलियों) से प्राप्त होने वाला विटामिन है, इसलिए शाकाहारियों को मुख्य रूप से विटामिन डी के लिए सूरज की रोशनी पर निर्भर रहना पड़ता है। जिससे शाकाहारियों में विटामिन डी की कमी का खतरा बढ़ जाता है। खाद्य पदार्थों में मशरूम एकमात्र शाकाहारी वस्तु है जिसमें वीटामिन डी होता है।

क्या ऐसे खाद्य पदार्थ जो शरीर में विटामिन डी की आपूर्ति करते हैं जानिए-

साल्मन (Salmon), हेरिंग (Herring) और सार्डिन (sardines) जैसी वसायुक्त मछलियाँ जो विटामिन डी का महत्वपूर्ण स्रोत है।
कॉड मछली के लीवर का तेल
अंडे की जर्दी (Egg yolks)
मशरूम
इन सभी खाद्य पदार्थों में विटामिन डी प्रकृतिक रूप से नहीं पाया जाता, लेकिन इन्हें पैक करते समय इनमें कुछ मात्रा में मिला दिया जाता है (fortification)।
गाय का दूध और सोया का दूध
संतरे का रस (Orange juice)
अनाज और ओट्स
क्या हैं शरीर में विटामिन डी के फायदे
विटामिन ऐसे पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर नहीं बना सकता, इसलिए एक व्यक्ति को आहार में इनका सेवन करना चाहिए। हालांकि, शरीर विटामिन डी का उत्पादन सूरज की रोशनी और आहार दोनों से कर सकता है। क्या होते हैं इस विटामिन के शरीर में फायदे-
हड्डियों और दाँतो को स्वस्थ और मजबूत बनाए रखना
शरीर के प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) को बनाए रखने में सहयोग करना
मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को  स्वस्थ रखना
इंसुलिन (insulin) और शुगर का संतुलन बनाए रखना
फेफड़ों की कार्यक्षमता और हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखना
कैंसर के विकास में शामिल जीन्स को प्रभावित करना
क्या हैं विटामिन डी की कमी से होने वाली समस्याएँ
हालांकि हमारा शरीर विटामिन डी का उत्पादन कर सकता है, इसके बावजूद भी किन्ही कारणों से शरीर में इसकी कमी हो सकती है। विटामिन डी इस कमी के कारण शरीर में कई तरह की समस्याएँ पैदा हो सकती हैं। क्या हैं वे समस्याएँ जानिए-
थकान और सुस्त महसूस करना
हड्डियों और पीठ में दर्द होना
मन उदास रहना
बाल झड़ना
मासपेशियों में दर्द होना
कोई घाव जल्दी से न भर पाना
कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली
यदि विटामिन डी की कमी लंबे समय से चली आ रही हो तो क्या समस्याएँ आती हैं-
ह्रदय संबंधी रोग होना
ऑटोइम्यून समस्याएं बढ़ जाना
स्नायविक रोग (neurological diseases)
गर्भावस्था में जटिलताएँ
स्तन कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और कोलन कैंसर जैसे कई कैंसर का जोखिम बढ़ता है
शरीर में अन्य तरह के संक्रमण होना
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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