140 करोड़ भारतीयों और देश की सेना की पीठ में छुरा घोपने जैसा है सीज़फायर.राष्ट्र के नाम सम्बोधन केवल चुनावी भाषण किसी सवाल को कोई जवाब नहीं दिया !

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का.राष्ट्र के नाम सम्बोधन केवल चुनावी भाषण निकला ,देश को बहुत उम्मीद थी की शायद प्रधानमंत्री देश को बताएँगे की आतंकी कैसे घुसे,किसके कहने से अचानक देश और सेना को बताये सीज़फायर की घोषणा हो गयी लेकिन अंत तक समझ आ गया. ये भाषण देश के लिए नहीं था. चुनाव के लिए था.
असल में ये बिहार चुनाव की तैयारी भर थी इस से ज़्यादा कुछ नहीं कुछ दिनों बाद यही भाषण बिहार की रैली में सुनेंगे.
प्रधानमंत्री मोदी से देश जानना चाहता है
शिमला समझौते के बाद अमेरिका की मध्यस्थता क्यों? क्या शिमला समझौता खत्म हो गया है?
पाकिस्तान के DGMO ने फोन पर कहा, हमला नहीं होगा. तो फिर सीज़फायर के बाद हमला क्यों हुआ?
ट्रंप प्रशासन इस डील का श्रेय क्यों ले रहा है? क्या बातचीत में अमेरिका अब पार्टनर है?
इन सवालों का जवाब के बदले प्रधानमंत्री का देश नाम संबोधन में मिला भाषण. ये भाषण चुनावी प्रोपोगैंडा है.
क्या जेश की जनता यह कभी नहीं समझेगी कि भाषण से देश नहीं चलते, सत्य और जवाबदेही से चलते हैं.