सुप्रीम कोर्ट का कड़ा सन्देश द्वेष,हिंसा ,व् नफरत फैलाने वाले भाषणों के खिलाफ स्वत:संज्ञान लेकर सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया !
सुप्रीम कोर्ट का कड़ा सन्देश द्वेष,हिंसा ,व् नफरत फैलाने वाले भाषणों के खिलाफ स्वत:संज्ञान लेकर सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया !
सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच मामले को लेकर शुक्रवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि जब कोई नफरती भाषण देता है, तो वे बिना किसी शिकायत के एफआईआर दर्ज कर स्वत: ही संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करें।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को हेट स्पीच के मामलो में स्वतः संज्ञान लेकर एफआईआर दर्ज करने को कहा, हेट स्पीच मामला किसी भी धर्म का हो। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अक्टूबर 2022 के आदेश (जिसके तहत दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड पुलिस को हेट स्पीच के मामलों के खिलाफ स्वत: कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया था) के आवेदन को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों तक बढ़ा दिया।
इसलिए अब सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को किसी औपचारिक शिकायत की प्रतीक्षा किए बिना नफरत फैलाने वाले भाषणों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए स्वत: कार्रवाई करने का आदेश दिया गया है। 21 अक्टूबर, 2022 को पारित प्रारंभिक आदेश केवल दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश की राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सरकारों पर लागू था। कोर्ट ने कहा, भाषण देने वाले के धर्म की परवाह किए बिना कार्रवाई की जानी चाहिए। अदालत ने चेतावनी दी कि निर्देशों के अनुसार कार्य करने में किसी भी तरह की हिचकिचाहट को अदालत की अवमानना के रूप में देखा जाएगा।
जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ याचिकाओं के एक बैच पर विचार कर रही थी, जिसमें देश भर में हेट क्राइम्स के विभिन्न मामलों के संबंध में कार्रवाई की मांग की गई थी। बेंच ने आदेश में दर्ज किया – “प्रतिवादी यह सुनिश्चित करेंगे कि जब भी कोई भाषण या कोई कार्रवाई होती है, जो आईपीसी की धारा 153ए, 153बी, 295ए और 506 आदि जैसे अपराधों को आकर्षित करती है तो बिना किसी मामले में किसी शिकायत के दर्ज किए जाने का इंतजार किए बिना अपराधी के खिलाफ कानून के अनुसार स्वतः संज्ञान से कार्रवाई की जाए।
कोर्ट ने कहा, “हम यह भी स्पष्ट करते हैं कि भाषण देने वाले के धर्म के बावजूद ऐसी कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि संविधान के प्रस्तावना में परिकल्पित भारत के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को संरक्षित रखा जा सके।” यह आदेश एडवोकेट निजाम पाशा (याचिकाकर्ता शाहीन अब्दुल्ला के लिए) द्वारा दायर एक आवेदन में पारित किया गया था, जिसमें हेट स्पीच पर अंकुश लगाने के लिए निर्देश मांगे गए थे। निर्देश के लिए अपने आवेदन में श्री पाशा ने सुझाव दिया था कि प्रत्येक राज्य में नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाए जो नफरत भरे भाषणों पर कार्रवाई के लिए जिम्मेदार हो।