खास रिपोर्ट

रानी लक्ष्मीबाई के अलावा क्या महात्मा गांधी की हत्या में भी इस घराने ने की मदद ?,और संघ के नेता व् भाजपा सरकार में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को क्यों अचानक याद आयी देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की -जानिये

रानी लक्ष्मीबाई के अलावा क्या महात्मा गांधी की हत्या में भी इस घराने ने की मदद ?,और संघ के नेता व् भाजपा सरकार में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को क्यों अचानक याद आयी देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की -जानिये

भाजपा सरकार में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी पर निशाना साधते हुए कहा थी की “कांग्रेस द्वारा राहुल जी को एक विशेष सत्कार दिया जा रहा है।

ज़मानत के लिए जब गए तो नेताओं की पूरी फौज ले गए।

यह अदालत के ऊपर दबाव का प्रयास नहीं है तो क्या है?


 

जिसके पलटवार में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व् मीडिया विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने सुभद्रा कुमारी चौहान की सबसे चर्चित कविता “अंग्रेज़ों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी राजधानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥ को साझा कर ट्ववीट किया था की “क्या वह झांसी की रानी पर सुभद्रा कुमारी चौहान की अमर कविता भूल गए हैं?

इसी मुद्दे पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की किताब से कुछ पंक्तियाँ साझा लिखा “कविताएँ कम और इतिहास ज़्यादा पढ़ें।

और साथ ही कुछ लाइन साझा की जो उन्होंने बताया की जवाहरलाल नेहरू की किताब, ‘Glimpses of World History’ से ली हैं -“इस प्रकार उन्होंने (मराठों ने) दिल्ली साम्राज्य को जीता। मराठा ब्रिटिश वर्चस्व को चुनौती देने के लिए बने रहे। लेकिन मराठा शक्ति ग्वालियर के महादजी सिंधिया की मृत्यु के बाद टुकड़े-टुकड़े हो गई।

इसी कड़ी में अब एक बेहद दिलचस्प बात सामने आयी है जो देश की जानी मानी पत्रकार, लेखक सुजाता आनंदन ने अपने ट्वीट के जरिये साझा की है उन्होंने ट्ववीट कर लिखा

“बीजेपी सभ्य इंसानों के साथ क्या करती है!
जब मैंने कपूर आयोग की रिपोर्ट के आधार पर तुषार गांधी की किताब ‘लेट्स किल गांधी’ पर लिखा, तो उन्होंने सिंधिया के महाराजा (इस आदमी के दादा) को आरएसएस के साथ मिलकर महात्मा गांधी की हत्या की साजिश रचने का नाम दिया। इसमें चार अन्य महाराजा शामिल थे लेकिन गांधीजी को तीन गोलियां देने वाली बंदूक गोडसे को प्रदान की गई थी जो ग्वालियर महाराजा के सहयोगी-डे-कैंप की थी। वह इंटरव्यू शायद ही आगे बढ़ा, क्योंकि नेहरू-गांधी परिवार ने महसूस किया कि माधवराव सिंधिया के पिता की जो भी भागीदारी थी, वह एक सच्चे कांग्रेसी नेता थे और हमें अब उनके परिवार को सिर्फ इसलिए शर्मिंदा नहीं होना चाहिए क्योंकि उनके बेटे ने अब पार्टी छोड़ दी है और बीजेपी से हाथ मिला लिया है।
मैंने तर्क की शालीनता देखी और हमने एक समझौता किया – हम कहेंगे कि महाराजाओं ने साजिश रची लेकिन उनका नाम नहीं लिया या बंदूक कहां से आई, ‘वह जानकारी अब सार्वजनिक डोमेन में है। लेकिन आज मैं मानता हूं कि यह आदमी राहुल गांधी की उस शालीनता के लायक नहीं था। वह अब गांधीजी के हत्यारों की गोद में अपनी सही जगह पर है।

फिलहाल ज्योतिरादित्य सिंधिया  की तरफ से इस मुद्दे पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है !

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