छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में काम करने वाले आदिवासियों की हत्या की जांच की मांग करने वाले जाने माने मानवाधिकार कार्यकर्ता हिमांशु कुमार पर सुप्रीम कोर्ट ने पांच लाख का जुर्माना लगाया !
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में काम करने वाले जाने माने मानवाधिकार कार्यकर्ता हिमांशु कुमार पर सुप्रीम कोर्ट ने पांच लाख का जुर्माना लगा दिया है।
यह जुर्माना हिमांशु पर नक्सल विरोधी अभियान के दौरान छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की न्यायेतर हत्या की जांच को लेकर 13 साल पुरानी याचिका को खारिज करते हुए लगाया गया है।
इस बहुचर्चित याचिका का निर्णय आने से पूर्व न्यायिक प्रक्रिया के प्रति अपनी आस्था प्रकट करते हुए हिमांशु कुमार ने बुधवार को अपने फेसबुक पेज पर इसकी जानकारी साझा करते हुए लिखा था कि ‘कल सुप्रीम कोर्ट का फैसला आएगा। 16 आदिवासियों का पुलिस ने कत्ल किया था। डेढ़ साल के बच्चे का हाथ काट दिया गया था। मामला छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के गोमपाड़ गांव का है। मैं और आदिवासियों के रिश्तेदार 2009 में सुप्रीम कोर्ट में इंसाफ मांगने आए थे। हमने 13 साल इंतजार किया। उम्मीद है कल इंसाफ मिलेगा।’
लेकिन बृहस्पतिवार14 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता हिमांशु कुमार और 12 अन्य लोगों की तरफ से साल 2019 में दाखिल याचिका पर फैसला सुनाया। साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता कुमार को चार हफ्तों के अंदर 5 लाख रुपये की जुर्माना जमा करने के आदेश दिए हैं।
बता दें कि याचिकाकर्ता हिमांशु कुमार ने दंतेवाड़ा में साल 2009 में 17 आदिवासियों की हत्या के मामले में छत्तीसगढ़ पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की थी। उन्होंने साल 2009 में दंतेवाड़ा जिले की तीन अलग-अलग घटनाओं में 17 ग्रामीणओं की मौत को लेकर अपनी तरफ से रिकॉर्ड गए बयानों के आधार पर याचिका दायर की थी।