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हेट स्पीच के मामले पर सुप्रीम कोर्ट सख्त ,कोर्ट में प्रवेश वर्मा के बयानों का जिक्र,दिल्ली-यूपी और उत्तराखंड सरकारों को कड़ी चेतावनी, हेट स्पीच क्राइम के खिलाफ कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी!

हेट स्पीच के मामले पर सुप्रीम कोर्ट सख्त ,कोर्ट में प्रवेश वर्मा के बयानों का जिक्र,दिल्ली-यूपी और उत्तराखंड सरकारों को कड़ी चेतावनी, हेट स्पीच क्राइम के खिलाफ कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी!

सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच यानी नफरती भाषण देने वालों के खिलाफ फौरन कार्रवाई किए जाने का आदेश दिया है. सर्वोच्च न्यायालय ने राजधानी दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सरकारों से कहा है कि उनके अधिकार क्षेत्र में हेट स्पीच का कोई भी मामला सामने आने पर वे खुद से संज्ञान लेकर कड़ी कार्रवाई करें, ऐसे मामलों में उन्हें किसी शिकायत का इंतजार करने की भी जरूरत नहीं है. सर्वोच्च न्यायालय ने भले ही यह आदेश देश के तीन राज्यों की सरकारों को संबोधित करते हुए दिया हो, लेकिन देश की सबसे बड़ी अदालत ने यह आदेश देते हुए जो टिप्पणियां की हैं, वे पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण हैं.

धर्म के नाम पर हम ये कहां आ गए ?

सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा, “भारत का संविधान एक सेकुलर देश की स्थापना करता है, जिसमें देश के सभी नागरिक आपसी भाईचारे के साथ रहें और जहां हर व्यक्ति की गरिमा की सुरक्षा की जाए.” देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा, “हमारे संविधान का आर्टिकल 51A कहता है कि हमें वैज्ञानिक सोच का विकास करना चाहिए, लेकिन धर्म के नाम पर हम कहां आ गए हैं? ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.” जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस केएम जोसेफ की खंडपीठ ने ये सभी बातें देश में मुस्लिम समुदाय के लोगों के खिलाफ उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं के मामले में फौरन दखल देने की मांग करने वाली एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कहीं.

तीनों राज्यों से मांगी हेट क्राइम के खिलाफ कार्रवाई की रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने राजधानी दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सरकारों को आदेश दिया है कि वे अपने-अपने क्षेत्र में हेट क्राइम यानी नफरत पर आधारित अपराधों में शामिल होने वालों के खिलाफ की गई कार्रवाई की रिपोर्ट अदालत में पेश करें. कोर्ट ने कहा कि एकता और अखंडता भारतीय संविधान की प्रस्तावना में शामिल निर्देशक सिद्धांतों का हिस्सा हैं. देश में भाईचारा बनाए रखने के लिए अलग-अलग धर्मों को मानने वाले लोगों का आपस में मिल-जुलकर रहना जरूरी है.

कार्रवाई में देर की तो अवमानना की कार्रवाई होगी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, याचिकाकर्ता ने इस बात का जिक्र किया है कि किस तरह तमाम दंडात्मक प्रावधानों की मौजूदगी के बावजूद नफरत फैलाने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है और संविधान के सिद्धांतों पर अमल करना जरूरी है. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि संविधान के मुताबिक कानून का राज कायम रखना और नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना इस अदालत का कर्तव्य है. बेंच ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर प्रशासन ने इस बेहद गंभीर मुद्दे पर कार्रवाई करने में जरा भी देर की, तो इसे अदालत के आदेश की अवमानना मानकर कार्रवाई की जाएगी.

सिब्बल ने कोर्ट में परवेश वर्मा के बयानों का जिक्र किया

याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान बीजेपी सांसद परवेश वर्मा ने वहां मौजूद लोगों से मुस्लिम दुकानदारों के बहिष्कार की अपील की थी. सिब्बल ने परवेश वर्मा के कुछ बयान अदालत को पढ़कर भी सुनाए. सिब्बल ने कहा कि कई शिकायतें मिलने के बावजूद प्रशासन से लेकर सर्वोच्च अदालत तक ने स्टेटस रिपोर्ट मांगने के अलावा कोई कार्रवाई नहीं की है. सिब्बल ने कहा कि इस मामले में “चुप्पी कोई जवाब नहीं है. न तो हमारी तरफ से और न ही कोर्ट की तरफ से.” इस मामले में हैरानी जाहिर करते हुए बेंच ने सिब्बल से पूछा कि क्या मुस्लिम भी हेट स्पीच दे रहे हैं? इसके जवाब में सिब्बल ने कहा, “अगर वे ऐसा करेंगे तो क्या उन्हें बख्शा जाएगा?”

नफरती बयान डिस्टर्ब करने वाले हैं : जज

जस्टिस रॉय ने कहा कि इस तरह के बयान वाकई डिस्टर्ब करने वाले हैं, खास तौर पर भारत जैसे देश में, जो अपनी धार्मिक निष्पक्षता के लिए प्रसिद्ध है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कोर्ट के सामने सिर्फ एक समुदाय के खिलाफ दिए गए बयान ही पेश किए गए हैं और सुप्रीम कोर्ट किसी खास पक्ष को टारगेट करता हुआ नहीं दिखना चाहिए. उन्होंने कहा कि ऐसे बयानों की निंदा होनी चाहिए चाहे वे किसी ने भी दिए हों.

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