देश की ओलम्पिक पदक विजेता महिला पहलवानों के पक्ष में आज कुरुक्षेत्र से होगा महाभारत का आगाज !
देश की ओलम्पिक पदक विजेता महिला पहलवानों के पक्ष में आज कुरुक्षेत्र से होगा महाभारत का आगाज !
भाजपा के बाहुबली सांसद व् यौन शोषण के आरोपी बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कार्रवाई के लिए संघर्ष कर रहे ओलम्पिक पदक विजेता पहलवानों को मजबूत सहारा मिल गया है। मुजफ्फरनगर में पंचायतों के केंद्र माने जाने वाले गांव शोरम में हुई एक बहुत बड़ी खाप पंचायत में तमाम चौधरियों ने खिलाड़ियों के साथ खड़े होने का ऐलान कर दिया है। इस पंचायत में खाप चौधरियों ने ऐलान किया है कि वो इस लड़ाई को बेटियों के मान सम्मान के लिए लड़ने जा रहे है और इसका आगाज शुक्रवार को कुरुक्षेत्र में होने वाली पंचायत में होगा, वहां आगे की रणनीति तय की जाएगी।
मुजफ्फरनगर के शोरम में आज की खाप पंचायत बालियान खाप के चौधरी नरेश टिकैत के आह्वान पर बुलाई गई थी जिसमें 36 खापों के चौधरियों ने अपनी राय रखी। सभी सरकार के रवैये पर काफी नाराज दिखाई दिए। खाप पंचायत की यह कवायद इसलिए की गई क्योंकि बुधवार को बजंरग पुनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट गंगा में अपने मैडल विसर्जित करने पहुंचे थे तो चौधरी नरेश टिकैत ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया था, जिसके बाद मेडल चौधरी नरेश टिकैत को सौंप दिए गए थे। अगले निर्णय के लिए यह पंचायत बुलाई गई थी। पंचायत में तमाम खाप चौधरियों में सरकार के प्रति खासी नाराज़गी तो दिखाई दी मगर आज का निर्णय कल कुरुक्षेत्र पर छोड़ दिया गया, हालांकि चौधरी नरेश टिकैत ने यह जरूर बताया कि निर्णय सुरक्षित रखा गया है !
पंचायत में भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत भी पहुंचे और उन्होंने कहा कि वो बेटियों को अयोध्या के संतों के बीच भी लेकर जाएंगे। इसके अलावा तमाम खाप पंचायत के चौधरी महामहिम राष्ट्रपति से भी अपनी बात कहेंगे। राकेश टिकैत ने कहा कि आज खिलाड़ियों की जाति पर बात कर रहे हैं, जब वो देश के लिए मैडल लेकर आते थे तो जाति की बात नही होती थी बल्कि वो भारतीय थे। इन खिलाड़ियों की बस एक जाति है कि ‘तिंरगा जाति’। भारत से बाहर इन्हें हमारे देश के तिंरगा झंडे से पहचाना जाता है। यह पूरे देश के खिलाड़ी हैं। सरकार इन्हें अपमानित कर रही है। यह आंदोलनकारी नही हैं। यह हमारे बच्चे हैं। इन्होंने जितना संघर्ष कर सकते थे, कर लिया। अब तो इनके आंसुओ का हिसाब हम सरकार से लेंगे। यह लड़ाई लड़ी जाएगी और लड़कियां हारेंगी नही।
नरेश टिकैत ने कहा कि जिस समय हमने हरिद्वार में खिलाड़ियों के मेडल को अपने कंधे पर रखा था तो उसी समय यह तय कर लिया था कि यह खिलाड़ियों का नहीं अब हमारा बोझ है और खिलाड़ी हमारे बच्चे हैं। अब हम सब मिलकर यह लड़ाई लडेंगे। हरिद्वार में गंगा घाट पर बहुत मार्मिक दृश्य था। बच्चों की आंख के आंसू अब दिमाग़ में छाए हुए हैं। हम बच्चों के साथ है।