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नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी : हमें पता है ‘लक्ष्मणरेखा’ कहां है, लेकिन इस फैसले की जांच तो करनी ही होगी !

नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी : हमें पता है 'लक्ष्मणरेखा' कहां है, लेकिन इस फैसले की जांच तो करनी ही होगी !

देश की सर्वोच्च अदालत में जस्टिस एस. अब्दुल नज़ीर की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय पीठ ने कहा कि वह सरकार के नीतिगत फैसलों की न्यायिक समीक्षा को लेकर लक्ष्मण रेखा से अच्छी तरह वाकिफ है, लेकिन वह 2016 के नोटबंदी के फैसले की समीक्षा अवश्य करेगा। कोर्ट ने कहा कि हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि यह मामला केवल ‘अकादमिक’ कवायद तो नहीं था। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में नोटबंदी लाई गई थी। इसके बाद एक हजार और पांच सौ रुपये के पुराने नोट बंद कर दिये गये थे।

केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अकादमिक मुद्दों पर अदालत का समय ‘‘बर्बाद’’ नहीं करना चाहिए। इस पर पीठ ने आगे कहा, ‘‘हम हमेशा जानते हैं कि लक्ष्मण रेखा कहां है, लेकिन जिस तरह से इसे किया गया था, उसकी पड़ताल की जानी चाहिए। हमें यह तय करने के लिए वकील को सुनना होगा।’’पीठ ने आगे कहा, हम हमेशा जानते हैं कि लक्ष्मण रेखा कहां है, लेकिन जिस तरह से इसे किया गया था, उसकी पड़ताल की जानी चाहिए. हमें यह तय करने के लिए वकील की दलील को सुनना होगा.” कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार ₹ 500 और ₹ 1,000 के नोटों पर प्रतिबंध लगाने के फैसले के बारे में जवाब देने के लिए अपनी फाइलों को तैयार रखे

एक अन्य पक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पी. चिदंबरम ने कहा कि यह मुद्दा अकादमिक नहीं है और इसका फैसला शीर्ष अदालत को करना है।

 

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