पश्चिम बंगाल

भाजपा की मान्यता क्यों न रद्द हो ? भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुकीं प्रत्याशी निकलीं बांग्लादेशी, चुनाव आयोग खामोश रहा !

बीजपुर भाजपा सीट से 2016 का चुनाव किस आधार पर लड़वाया था, जबकि हाईकोर्ट का कहना है कि दोहरी नागरिकता रखने वाला चुनाव नहीं लड़ सकता !

पश्चिम बंगाल में एक बड़ा ही अजीब मामला सामने आया है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक ऐसी महिला को बांग्लादेश का नागरिक करार दिया जो ना सिर्फ बीजेपी बल्कि तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर भी विधानसभा चुनाव लड़ चुकी हैं,

जी हाँ ये है तृणमूल नेता आलो रानी सरकार जो 2016 में बीजेपी के टिकट से और 2021 में तृणमूल के टिकट से विधानसभा चुनाव लड़ चुकी हैं। शुक्रवार को आलो रानी सरकार हाईकोर्ट के इस सवाल का जवाब नहीं दे पाई कि आखिर बांग्लादेश में पैदा हुई एक महिला के पास आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी जैसे प्रमाण पत्र कैसे आ गए और बिना छानबीन के उन्हें चुनाव लड़ने का टिकट कैसे मिल गया ?

चुनाव लड़ने के समय बांग्लादेशी नागरिक ही थीं

एक साल तक चली अदालती कार्यवाही के बाद कलकत्ता हाईकोर्ट ने साफ कहा कि आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी जैसे प्रमाण पत्र होने का यह मतलब नहीं है कि कोई भारत का नागरिक माना जाएगा। आलो रानी सरकार का जन्म बांग्लादेश में हुआ और वे बचपन में अपने चाचा के साथ भारत आईं और यही रहने लगीं। उनका नाम अभी भी बांग्लादेश की मतदाता सूची में शामिल हैं और इस नाते वे एक विदेशी नागरिक हैं।

गलती से नाम बांग्लादेश की मतदाता सूची में जुड़वा लिया

आलो रानी के वकील का कहना था कि उनके मुवक्किल का जन्म पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में 1969 में हुआ। 1980 में आलो रानी की शादी बांग्लादेशी नागरिक डॉ. हरेंद्रनाथ सरकार से हुई, जो बाद में टूट गई और वे भारत वापस आ गईं। 2012 में आलो रानी ने गलती से अपना नाम बांग्लादेश की मतदाता सूची में जुड़वा लिया था, जिसे हटाने के लिए उन्होंने आवेदन किया था।

हाईकोर्ट के इस खुलासे के बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि बीजेपी ने आलो रानी को बीजपुर सीट से 2016 का चुनाव किस आधार पर लड़वाया था, जबकि हाईकोर्ट का कहना है कि दोहरी नागरिकता रखने वाला चुनाव नहीं लड़ सकता और आलो रानी पहला चुनाव लड़ने के समय भी बांग्लादेशी नागरिक ही थीं।

 

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