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सेहत के लिए क्यों बेहद जरूरी है अच्छी नींद, और कैसे ले एक अच्छी नींद ! जानिये प्रीति खत्री के कारगर टिप्स

सेहत के लिए क्यों बेहद जरूरी है अच्छी नींद और, कैसे ले एक अच्छी नींद ! जानिये प्रीति खत्री के कारगर टिप्स

नींद का महत्व

नींद सभी जीवों के लिए ईश्वर के वरदान की तरह है. यदि हम पर्याप्त नींद लें तो कई अनावश्यक बीमारियों से तो हम यू हीं बच जाते हैं. इसके साथ ही हमारे शरीर को मिलने वाले आराम के कारण इसकी कार्यक्षमता में भी वृद्धि होती है.

यदि आप नींद का महत्व नहीं समझते हैं और पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं तो आपको मानसिक अवसाद जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है. इसे आप डिप्रेशन, तनाव या चिंता में डूबा रहना भी कह सकते हैं. ये तो आपने भी महसूस किया ही होगा कि यदि आप एक दिन न सोएँ तो किस तरह से शरीर लचर होने लगता है. इसलिए नींद के महत्व को समझते हुए हमें इसके विभिन्न पहलुओं को ठीक से जानना चाहिए.

आइए इस लेख के माध्यम से हमलोग नींद के महत्व को विस्तारपूर्वक समझें ताकि कई अनावश्यक परेशानियों से बचा जा सके.

नींद पूरी न होने का तकरीबन पूरे शरीर पर नकारात्मक असर पड़ता है। दुनिया के तमाम रिसर्च ये बताते हैं कि नींद स्वस्थ रहने के लिए बेहद जरूरी है। तो आइए जानें अगर रोजाना अपनी नींद नहीं पूरी कर रहे हैं, तो ये किस तरह हमारे लिए खतरनाक है।

  1. नींद की कमी बिमारी का घर-
    यदि आप सोने में कोताही करते हैं या पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं तो आप कई बीमारियों को आमंत्रित कर रहे हैं. कहते हैं न कि चैन से सोना है तो जाग जाइए. जब आपकी नींद पूरी नहीं होती है तो आपको कई बीमारियाँ जैसे कि याद्दाश्त कमजोर होना, उच्च रक्तचाप, आँखों में सुजन, कमजोरी, थकान, मोटापा, तनाव आदि अपना शिकार बना सकती हैं. बेहतर यही है कि आप भरपूर नींद लेने को गंभीरता से लें और पर्याप्त नींद लें. यदि आप विभिन्न बीमारियों का आसान शिकार नहीं बनना चाहते हैं तो आपको नींद के महत्व को नजरंदाज नहीं करना चाहिए.
  2. बच्चों में नींद की कमी का असर और अवसाद-

किशोरों या बच्चों की मानसिकता पर पर्याप्त नींद न लेने का दुष्प्रभाव उनके आत्मविश्वास पर पड़ता है. अक्सर ऐसा देखा गया है कि आठ घंटे से कम नींद लेने वाले किशोर नशे या स्मोकिंग की चपेट में होते हैं. कई बच्चे इसके दुष्प्रभाव से डिप्रेशन में भी चले जाते हैं. ऐसा होने पर कई बार बच्चे उग्र भी हो जाते हैं. एक शोध में यह पाया गया कि प्रतिदिन 7 से 8 घंटे की नींद लेने वाले 4.5 घंटे से कम सोने वालों की तुलना में लम्बी उम्र जीते हैं. तो बच्चों को भी पर्याप्त सुलाएं. बच्चों के नींद पर तो और भी ध्यान देना आवश्यक है क्योंकि बच्चे बोल नहीं सकते. कई ऐसी क्रियाएँ हैं जो बच्चों में पर्याप्त नींद के बिना नहीं हो सकती हैं. इसलिए खुद समय पर सोने के साथ ही बच्चों को भी सुलाना आवश्यक है.

3. नींद और वजन का संबंध-

शोधकर्ताओं के अनुसार कम सोने वाले लोगों का वजन पर्याप्त नींद लेने वालों से ज्यादा होता है. ये भी पाया गया है कि पांच घंटे की नींद लेने वाले लोगों में भूख बढ़ाने वाला हार्मोन 15 फीसदी अधिक बनता है. लेकिन आठ घंटे की नींद लेने वाले लोगों में यह हार्मोन जरूरत के अनुसार ही बनता है. जाहिर है इससे आप मोटापे के शिकार होते हैं और अवसाद की तरफ बढ़ चलते हैं. तो यदि आप पतला होना चाहते हैं या मोटापा कम करना चाहते हैं तो आपको भी आज से ही पर्याप्त नींद लेना शुरू कर देना चाहिए.

4. अवसाद, नींद और सेहत-

ये तो आपने भी महसूस किया ही होगा कि जब आप गहरी नींद से सोकर उठते हैं तो आपको एक ताजगी का एहसास होता है. और पर्याप्त नींद न लेने पर दिमाग भन्नाया रहता है. दरअसल पर्याप्त नींद लेने पर हमारे शारीर में रोगों से लड़ने वाली कोशिकाएं भी ठीक तरीके से काम करती हैं. जिससे कि आप कई अनावश्यक बीमारियों से तो बचते ही हैं साथ में आपकी कार्यक्षमता में भी बढ़ोतरी होती है. इसलिए ये बेहद आवश्यक है कि नींद के महत्व को समझें और इसके लिए आवश्यक कदम उठाएँ ताकि आपका सेहत हमेशा ठीक रहे.

5 स्ट्रोक का खतरा चार गुना बढ़ जाता है।

6 डायबिटीज की आशंका बढ़ जाती है।

7 कई तरह के कैंसर का खतरा होता है।

8 दिल की बीमारी का खतरा 48 फीसदी बढ़ जाता है।

9 कम नींद का ब्रेन टिश्यू पर असर पड़ता है।

10 वर्क प्लेस पर प्रोडक्टिविटी कम हो जाती है।

11 व्यक्ति का लुक और स्किन खराब होती है।

12 भूख ज्यादा लगने से ओवरईटिंग का खतरा।

13 एक्सीडेंट का खतरा तीन गुना बढ़ता है।

14 सर्दी का खतरा तीन गुना रहता है।

15सिरदर्द होने के चांस और बढ़ जाते हैं।

16 नींद का न पूरा होना मतिभ्रम को बढ़ाता है।

 

हेल्दी लाइफ स्टाइल के लिए अच्छी नींद लेना बेहद जरूरी है। कम नींद हमारे दिल, दिमाग और वजन से लेकर पूरे शरीर तक पर असर डालती है।

 

अच्छी सेहत के लिए पर्याप्‍त नींद जरूरी है,  नींद की गुणवत्ता में सुधार के उपाय

अगर हम खुद को हर रात 7-8 घंटे की नींद लेने दें तो बहुत सारी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर किया जा सकता है।

व्यस्त दिनचर्या के कारण इंसान के लिए अच्छी नींद लेना समस्या बनती जा रही है। गुणवत्तापूर्ण नींद और निद्रा के संतुलित चक्र के लाभ के बारे में हम सभी जानते हैं, फिर भी लोगों के लिए इसे बनाए रखना मुश्किल हो रहा है। अच्छी नींद का व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बहुत प्रभाव पड़ता है। यह वर्कप्लेस में बेहतर प्रदर्शन, भावनात्मक संतुलन और एक स्वस्थ सक्रिय शरीर के लिए आवश्यक है। रेसमेड एएलए स्लीप सर्वे 2022 के अनुसार, 72% भारतीयों ने अनुचित निद्रा चक्र को भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना। यह दर्शाता है कि नींद हमारे सम्पूर्ण स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करती है।

आज की अव्यवस्थित जीवनशैली से कई नींद संबंधी विकार आम हो गए हैं। जिनमें से कुछ अनिद्रा, स्लीप एपनिया, रेस्टलेस लेग सिंड्रोम, नार्कोलेप्सी आदि हैं। अत्यधिक व्यस्त दिनचर्या, देर रात्रि तक मोबाइल, लैपटॉप में अत्यधिक समय व्यय करना, अनहेल्दी फूड के सेवन की प्रवृत्ति और सामान्य रूप से एक आलस्यपूर्ण जीवन शैली जैसे कारक नींद से संबंधित समस्याओं को बढ़ा रहे हैं। इस तरह के नींद संबंधी विकार आपके जीवन के कई बिंदुओं पर हानिकारक प्रभाव डाल सकते हैं। यह हृदय से संबंधित बीमारियों, मधुमेह, मोटापा और हार्मोन के विकास से जुड़ी समस्या को भी जन्म दे सकता है। जिसके परिणामस्वरूप जीवन की गुणवत्ता खराब हो जाती है और व्यक्ति को चिड़चिड़ा और सुस्त बना देती है। इससे अवसाद और चिंता भी उत्पन्न हो सकती है। अगर हम खुद को हर रात 7-8 घंटे की नींद लेने दें तो बहुत सारी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर किया जा सकता है। न केवल हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली सशक्त होगी बल्कि हम एक आनंदमय जीवन जीने में सक्षम होंगे।

अच्छी नींद के उपाय

हम अपने जीवन में स्वस्थ बदलाव लाकर नींद संबंधी समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं, जिससे जीवन की गुणवत्ता भी सुनिश्चित हो सके। यहां कुछ तरीके दिए गए हैं जिन्हें हम आत्मसात कर नींद संबंधी विकारों से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं:

धूम्रपान और शराब से बचें:

शराब और तंबाकू के सेवन से नींद का समय बाधित होता है।

नींद का सही प्रबंधन:

प्रतिदिन एक निश्चित समय पर सोना और जागना शरीर को प्रभावी ढंग से काम करने और पर्याप्त आवश्यक विश्राम हेतु सहायक होता है।

नींद से पहले विश्राम:

ध्यान या योग-निद्रा का सहारा लेने से गहरी आरामदायक नींद की संभावना बढ़ सकती है।

डिजिटल स्क्रीन का समय कम करें:

सोने से एक घंटे पहले डिजिटल उपकरणों को बंद कर देना चाहिए जिससे मस्तिष्क को विश्राम प्राप्त हो। इससे हमारी आंखों को रिलैक्स होने का भी समय मिलता है।

दोपहर की झपकी से बचें:

दिन में झपकी लेने से बचने से आप रात में बेहतर नींद ले पाएंगे।

अपना गद्दा ठीक करें:

खराब गुणवत्तापूर्ण गद्दे का उपयोग पीठ और गर्दन की पीड़ा से बचने में सहायक होते हैं । साथ ही यह आपको अच्छी निद्रा प्रदान करने में उपयोगी होता है।

नियमित व्यायाम:

नियमित रूप से व्यायाम करने से न केवल आपको स्वस्थ रहने में मदद मिलेगी बल्कि गुणवत्ता निद्रा व नींद की अवधि में भी सुधार होगा।

गुणवत्तापूर्ण निद्रा उत्तम जीवन जीने के लिए आवश्यक है। संक्षेप में यह किसी के जीवन में व्यापक जीवंतता जोड़ता है। इसलिए हमें अपनी पूर्ण क्षमता जागृति के लिए गुणवत्तापूर्ण नींद लेने का प्रयास करना चाहिए।

आरईएम स्लीप और इसकी कमी से सेहत को होने वाले नुकसान

हमारे स्लीपिंग पैटर्न में आरईएम स्लीप शामिल हैं, जो हमें हील करने में मदद करता है. यह हमारे नेगेटिव थॉट को दूर कर पॉजिटिव बने रहने में मदद करता है. इसकी कमी सेहत के लिए कैसे बुरी साबित हो सकती है, आइए जानते हैं.

रैपिड आई मूवमेंट स्लीप का महत्व:

रात में सोते वक्त ज़्यादातर लोगों को सपने आते हैं. क्या आपने नींद खुलने के बाद सपने को गंभीरता से लिया है? जगने के बाद ये सोचा है कि आपको सपने काफी ब्लैक एंड वाइट, तो कभी कलरफुल क्यों नज़र आते हैं? कई बार तो हमें सपने टुकड़ों में नज़र आते हैं. कभी आधी रात में नींद टूटने के बाद जब हम दोबारा सोते हैं, तो हमें फिर से पुराने सपने की आगे की कहानी नज़र आने लगती है.

आप समय के जिस चरण में सबसे ज़्यादा सपने देखते हैं, उसे आरईएम यानी रैपिड आई मूवमेंट स्लीप कहते हैं. इस दौरान देखे गए सपने गहरे इमोशन के साथ जुड़े हुए होते हैं. आरईएम स्लीप के दौरान हमारा मस्तिष्क नकारात्मक भावनाओं को कम करते हुए सकारात्मक भावनाओं के स्टॉक को मजबूत करने का काम करता है. आरईएम स्लीप के दौरान हमारा दिमाग बेहद सक्रिय होता है. उतना ही जितना दिन में जागते समय होते हैं. इस दौरान हमारी आंखें तेज़ी से पलक के अंदर चलती हैं और सांसों के साथ-साथ हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है.

हर दिन कितनी आरईएम स्लीप है ज़रूरी…

वेबमेड में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक आरईएम स्लीप हमारी मेमोरीज़ को पढ़ने और उन्हें स्टोर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. यह हमें ज़िंदगी की भावनात्मक समस्याओं से लड़ने में और डर के ऊपर काबू पाने के लिए तैयार करता है. इसके अलावा आरईएम स्लीप हमें क्रिएटिव तरीके से सोचने और चीज़े याद रखने में मदद करती हैं. हमारे शरीर को आरईएम स्लीप की दिन में 20- 25 प्रतिशत ज़रूरत होती है.

आरईएम स्लीप की के क्या है साइड अफेक्ट्स

आरईएम स्लीप की कमी कई बार हमारी बॉडी पर नेगेटिव इंपैक्ट डालती है. अगर लंबे समय तक शरीर को आरईएम स्लीप नहीं मिली, तो यह गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं की वजह भी बन सकती है. इसकी कमी से डिप्रेशन, एंग्जायटी, कमज़ोर इम्यून सिस्टम, वज़न बढ़ना, थकान, कम होती मेमोरी जैसी समस्याएं शुरू हो सकती हैं. ऐसे में अगर आपको सोने में समस्या आती है या नियमित तनाव, थकान, कमज़ोरी और कम होती मेमोरी की समस्या हो रही है, तो बिना देर के एक्सपर्ट से मिलना ज़रूरी है

शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए कितनी नींद जरूरी है

मस्तिष्क के सामान्य कामकाज को बनाए रखने के लिए नींद एक महत्वपूर्ण घटक है। नींद के दौरान मस्तिष्क खुद को पुनर्गठित और रिचार्ज करता है। साथ ही जहरीले अपशिष्ट उपोत्पादों को हटाने और हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने के लिए, नींद ‘‘यादें संजाए रखने’’ के लिए भी महत्वपूर्ण है, नींद के दौरान हमारे अनुभवों के आधार पर नए मेमोरी सेगमेंट दीर्घकालिक स्मृति में स्थानांतरित हो जाते हैं।

नींद की एक इष्टतम मात्रा और गुणवत्ता हमें अधिक ऊर्जा और बेहतर स्वास्थ्य प्राप्त करने में सक्षम बनाती है। यह हमें हमारी रचनात्मकता और सोच को विकसित करने में भी मदद देती है।

तीन से 12 महीने की उम्र के बच्चों को देखते हुए, शोधकर्ताओं ने ध्यान दिया है कि बेहतर नींद जीवन के पहले वर्ष में बेहतर व्यवहार परिणामों से जुड़ी होती है, जैसे कि नई परिस्थितियों के अनुकूल होने या भावनाओं को कुशलता से नियंत्रित करने में सक्षम होना।

यह ‘‘संज्ञानात्मक लचीलेपन’’ (आसानी से परिप्रेक्ष्य बदलने की हमारी क्षमता) सहित अनुभूति के लिए महत्वपूर्ण प्रारंभिक निर्माण खंड हैं, और बाद के जीवन में हमारे बेहतर स्वास्थ्य से जुड़े होते हैं।

कहीं आप भी तो नहीं कर रहे हैं अपनी नींद के साथ यह गलती

एक मनुष्य के जीवन में नींद किसी वरदान से कम नहीं है। थकान दूर करने और दिमाग को तरोताजा बनाने में एक अच्छी नींद का बहुत बड़ा योगदान होता है। इसके विपरीत खराब नींद से आपकी सेहत प्रभावित हो सकती है।

अक्सर विशेषज्ञों द्वारा कहा जाता है कि हम अपनी दिनचर्या में योग-व्यायाम को शामिल कर तथा खानपान की आदतों को बेहतर बनाकर एक अच्छा स्वस्थ जीवन जी सकते हैं और दीर्घायु हो सकते हैं। लेकिन हम भूल जाते हैं कि व्यायाम और खाने के अलावा भी एक ऐसी आदत है जिसकी अनदेखी करके हम अपने स्वास्थ्य को बिगाड़ लेते हैं। और वह आदत है समय पर नींद ना लेना। जी हां एक बेहतर दिनचर्या की कार्यसूची में अच्छी और वक्त पर नींद भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितने हमारे अन्य काम।

किस उम्र में कितना सोना चाहिए

एक व्यक्ति को नींद की जरूरत उसके उम्र पर निर्भर करती है। यहां हम आपको उम्र के अनुसार नींद के आवश्‍यकताओं के बारे में बता रहे हैं।

  • शिशुओं (उम्र 0-3 महीने) को दिन में 14-17 घंटे की आवश्यकता होती है।
  • शिशुओं (उम्र 4.9 महीने) को 12-15 घंटे रोजाना की आवश्यकता होती है
  • टॉडलर्स (उम्र 1-2 वर्ष) को प्रतिदिन लगभग 11-14 घंटे की आवश्यकता होती है।
  • प्री-स्कूल के बच्चों (3-5 साल की उम्र) को दिन में 10-13 घंटे की आवश्यकता होती है।
  • स्कूली बच्चों (6-13 वर्ष की आयु) को प्रतिदिन 9-11 घंटे की आवश्यकता होती है।
  • किशोरों (उम्र 14-17) को प्रत्येक दिन लगभग 8-10 घंटे की आवश्यकता होती है।
  • नींद की सबसे अच्छी मात्रा के लिए ज्यादातर वयस्कों को रात में 7 से 9 घंटे की आवश्यकता होती है, हालांकि कुछ लोगों को हर दिन 6 घंटे या 10 घंटे की नींद की आवश्यकता हो सकती है।
  • वृद्ध वयस्कों (65 वर्ष और उससे अधिक) को हर दिन 7-8 घंटे की नींद की आवश्यकता होती है।
  • गर्भावस्था के पहले 3 महीनों में महिलाओं को अक्सर सामान्य से कई घंटे अधिक नींद की आवश्यकता होती है।

हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि यदि आप दिन के दौरान उबाऊ महसूस करते हैं और उबाऊ गतिविधियों में हैं तो इसका मतलब है कि आपको पर्याप्त नींद नहीं मिली है।

 

डिस्क्लेमर

सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.

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