तुलसी के प्रकार और उनके क्या लाभ तथा तुलसी के पौधे जल्दी ख़राब क्यों हो जाते हैं !तुलसी पर ये लेख की अगली कड़ी प्रस्तुत है इसको लिखा है प्रीति खत्री ने !
तुलसी के प्रकार और उनके क्या लाभ तथा तुलसी के पौधे जल्दी ख़राब क्यों हो जाते हैं !तुलसी पर ये लेख की अगली कड़ी प्रस्तुत है इसको लिखा है प्रीति खत्री ने !
हिन्दू धर्म में तुलसी को मां लक्ष्मी का रूप मानकर घर के आंगन में पूजनीय स्थान दिया जाता है। लेकिन इसके अलावा भी तुलसी के वैज्ञानिक व आयुर्वेद की दृष्टि से कई लाभ मिलते हैं।
इस अनमोल पौधे के कुल 5 प्रकार होते हैं, जो स्वास्थ्य से लेकर वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
तुलसी के यह 5 प्रकार –
1) श्याम तुलसी,
2) राम तुलसी,
3) श्वेत/विष्णु तुलसी,
4) वन तुलसी,
5) नींबू तुलसी
तुलसी के पांचों प्रकारों को मिलाकर इनका अर्क निकाला जाए, तो यह पूरे विश्व की सबसे प्रभावकारी और बेहतरीन दवा बन सकती है। एक एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी- बैक्टीरियल, एंटी-वायरल, एंटी-फ्लू, एंटी-बायोटिक, एंटी-इफ्लेमेन्ट्री व एंटी – डिजीज की तह कार्य करने लगती है। जानिए इस अनमोल दवा के यह बेशकीमती फायदे –
1- पांच प्रकार की तुलसी का अर्क निकालकर इसके मिश्रण का सेवन करने से कई समस्याओं से निजात पाई जा सकती है। एक ग्लास पानी में एक या दो बूंद अर्क मिलाकर इस मिश्रण को 1 लीटर पानी में डालकर रखें और कुछ देर बाद इसका सेवन करें। पीने के पानी में इसका प्रयोग कर रोगाणुओं से बचा जा सकता है।
2- पांच तुलसी का यह अर्क सैकड़ों रोगो में लाभदायक सिद्ध होता है। बुखार, फ्लू, स्वाइन फ्लू, डेंगू, सर्दी, खांसी, जुखाम, प्लेग, मलेरिया, जोड़ो का दर्द, मोटापा, ब्लड प्रेशर, शुगर, एलर्जी, पेट में कृमि, हेपेटाइटिस, जलन, मूत्र संबंधी रोग, गठिया, दम, मरोड़, बवासीर, अतिसार, आंख दर्द , खुजली, सिर दर्द, पायरिया, नकसीर, फेफड़ों की सूजन, अल्सर, वीर्य की कमी, हार्ट ब्लोकेज आदि समस्याओं से एक साथ निजात दिलाने में सक्षम है।
3- यह मिश्रण एक बेहतरीन विष नाशक की तरह कार्य करती है। इसके रोजाना सेवन से शरीर से हानिकारक एवं अवांछित तत्व बाहर निकल जाते हैं और शरीर के आंतरिक अंगों की भी सफाई होती है। तुलसी स्मरण शक्ति को बढ़ाने के लिए बेहद कारगर उपाय है ।
4- इसके सेवन से लाल रक्त कणों में इजाफा होता है और हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है। एक बूंद श्री तुलसी का प्रतिदिन सेवन करने से पेट संबंधी बीमारियां धीरे-धीरे समाप्त हो जाती हैं। वहीं गर्भवती महिलाओं में उल्टी की परेशानी होने पर भी यह लाभकारी है।
5- खांसी या जुकाम होने पर इसका प्रयोग शहद के साथ करना फायदेमंद होता है। गले में दर्द, मुंह में छाले, आवाज खराब होने पर या मुंह से दुर्गंध आने की स्थिति में इसकी एक बूंद मात्रा का सेवन भी बेहद कारगर साबित होगा। दांत का दर्द, दांत में कीड़ा लगना, मसूड़ों में खून आने जैसी समस्याओं में इसकी 4 से 5 बूंद पानी में डालकर कुल्ला करें।
6 -शरीर की त्वचा जल जाने पर इसका रस लगाना लाभदायक है वहीं किसी विषैले जीव-जंतु के काटने पर इसे लगाने राहत मिलती है और जहर भी उतरता है। इसकी कुछ बूंदे शरीर पर लगाकर सोने से मच्छरों से बचा जा सकता है।
7- कान में दर्द होना या कान बहने जैसी समस्याओं में इसे हल्का गुनगुना कर कान में डालने से फायदा होगा। वहीं नाक की समस्या या फोड़े–फुंसियां होने पर इसका गुनगुना रस डालने से लाभ होगा ।
8- बालों में किसी भी प्रकार की समस्या जैसे- बाल झड़ना, सफेद होने पर इस रस को तेल में मलाकर लगाना लाभकारी होगा। वहीं जुएं य कीड़े होने पर रस की कुछ बूंदें नींबू के रस में मिलाकर लगाएं और कुछ घंटों के बाद धो लें। इससे काफी लाभ होगा।
9- त्वचा की हर समस्या का समाधान है इसके पास। नींबू के रस के साथ इसे त्वचा पर लगाने से त्वचा की सफाई होगी और चेहरा दमकने लगेगा। सुबह और शाम के वक्त चेहरे पर इसका इस्तेमाल करने पर कील, मुहांसे, दाग-धब्बे और झाइयों से निजात मिलेगी। इसे नारियल तेल के साथ लगाने से सफेद दाग भी ठीक हो जाता है।
10 वजन घटाने के लिए भी तुलसी बेहद काम की चीज है। इसके नियमित सेवन से आपका मोटापा तो कम होगा ही, यह कोलेस्ट्रॉल को कम कर रक्त के थक्के जमने से रोकती है। इससे हार्ट अटैक की संभावना भी कम होती है।
तुलसी के पौधे जल्दी ख़राब क्यों हो जाते हैं….???
# तुलसी का पौधा जिसे मिट्टी नमी पसन्द होती हैं किंतु पानी की स्टोरेज पसन्द नही होती। जब तुलसी के पौधे में पानी रुकता हैं तब उसकी जड़े गलने लगती हैं म यही वजह हैं कि तुलसी की पौधे खराब हो जाती हैं।
#दूसरी वजह हैं कम पानी देना। तुलसी को नमी पसंद हैं इसलिए बरसात को छोड़ बाकी मौसम में 2 समय पानी दे।
# तीसरी वजह हैं पौधे को पोषण नही मिलना। हम तुलसी में सिर्फ पानी से उसकी तनों को भोजन नही दे सकते पर्याप्त भोजन के लिए खाद देना होगा। गोबर की चूरे, नीम खली, सरसो खली, वर्मीकम्पोस्ट, विटामिन स्प्रे।
# चौथी वजह हैं कीट पतंगे इनसे बचाने उपाय करें। जैसे तुलसी के पौधे में हर 15 दिनों में वर्मीकम्पोस्ट, नीम स्प्रे ऑयल, मिट्टी में गुड़ाई करें।
प्रति 2 वर्ष में गमले की पौधे को रिपोर्टिंग करे।
विधि
तुलसी के पौधे को आप 60% मिट्टी, 30% रेत और 10% वर्मीकम्पोस्ट के मिक्स के साथ मिट्टी तैयार करे। 12 इंच का गमला ले। गमले की छेद में मिट्टी के दिये उल्टा करके रखे फिर गमले को आधा मिट्टी भरे। पौधा लगाए। गमले के ऊपर से 1 इंच छोड़कर मिट्टी भर दे। तुरन्त पानी दे और चेक करें होल ड्रेनेज याने गमले के नीचे की तरफ से पानी वेल ड्रेनेज जो रहा हैं य नही। इस विधि से पानी बाहर होगा और मिट्टी में नमी रहेगी।