जानें विटामिन डी के फायदे और इसके स्रोत ,विटामिन डी पर प्रमाणित प्राकृतिक चिकित्सक प्रीती खत्री का लेख !
जानें विटामिन डी के फायदे और इसके स्रोत ,विटामिन डी पर प्रमाणित प्राकृतिक चिकित्सक प्रीती खत्री का लेख !
विटामिन डी
विटामिन डी3 की कमी क्यों होती है
विटामिन डी3 की कमी मूलतः इसलिए होती है क्योंकि शरीर इस विटामिन को तभी बनाता है जब वह सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आता है। इसलिए अगर आप कम से कम धूप के संपर्क में आते है या घर में ही रहते हैं तो आप में विटामिन डी3 की कमी होने की संभावना ज्यादा रहती है। अगर कहीं सिर को ढककर रखने की प्रथा है या ऐसा काम करते हैं जिससे आप धूप के संपर्क में कम रहते हैं या ऐसी किसी जगह में रहते हैं जहां धूप कम उगती है तो वहां विटामिन डी3 की कमी होने की संभावना ज्यादा होता है।
रंग- अगर त्वचा का रंग काला या सांवला है तो त्वचा का मेलानीन सूर्य की किरणों को शरीर में प्रवेश करने से रोकता है और जिसके कारण विटामिन डी बनने की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती है।
असल में हड्डियों के विकास के लिए कैल्शियम और विटामिन डी3 की जरूरत होती है और किडनी कैल्सीटेरॉल नाम का एक हार्मोन उत्पादित करता है जो हड्डियों को ब्लड से सही मात्रा में कैल्शियम लेने में सहायता करता है, इसलिए किडनी के सही तरह से काम न करने पर विटामिन डी3 अपना काम नहीं कर पाती है, जिसके कारण हड्डियां कमजोर हो जाती हैं।
अक्सर ये भी होता है कि रक्त से वसा की कोशिकायें विटामिन डी3 को सोख लेती है जिसके कारण विटामिन डी की कमी हो जाती है, यानि बॉडी मास इंडेक्स जितना ज्यादा होगा शरीर में विटामिन डी की कमी उतनी ही होगी।
विटामिन डी की कमी के लक्षण
मूड स्विंग्स- विटामिन डी की कमी का असर आपके मूड पर होता है. विटामिन डी की कमी का असर सेरोटोनिन हार्मोन पर पड़ता है. जो मूड स्विंग्स की समस्या पैदा करती है.
हड्डियों का कमजोर होना- विटामिन डी की बहुत ज्यादा कमी होने पर जरा सी चोट लगने पर हड्डी टूटने, खास तौर पर जांघों, पेल्विस और हिप्स में दर्द होता है.
बालों का झड़ना- विटामिन डी की कमी से बाल तेजी से झड़ने लगते हैं. विटामिन डी की कमी से स्ट्रेस और डिप्रेशन बढता है और इसका प्रभाव बालों के ग्रोथ और हेल्थ पर पड़ता है.
बीमार पड़ना- अगर आप बार बार बीमार पड़ जाते हैं और आपको सालों भर खांसी सर्दी की शिकायत रहती है तो हो सकता है कि आपके शरीर में विटामिन डी की कमी हो. शोधों में पाया गया है कि विटामिन डी की कमी का असर इंसान के इम्यून फंक्शन पर पड़ता है और इसकी कमी होने पर लोग अधिक बीमार होने लगते हैं.
स्किन पर असर- बहुत कम लोग जानते हैं कि विटामिन डी की कमी का असर स्किन पर भी होता है. स्किन ड्राई, रेड हो जाती है. खुजली ज्यादा होती है. कई लोगों को मुहांसे होने लगते हैं. विटामिन डी की कमी से कम उम्र में ही ऐजिंग शुरू हो जाती है. जल्दी चेहरे पर बुढ़ापा दिखने लगता है.
क्या होता है रक्त में विडामिन डी का सामान्य स्तर
हमारे सरीर में सामान्य रक्त सीरम का स्तर 40 से 80 नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर होता है। रक्त स्तर के आधार पर, आपको अधिक विटामिन डी की आवश्यकता हो सकती है। ड्रग्स और विटामिन के लिए IU मापक का प्रयोग किया जाता है। यह एक मानक है जिसका शाब्दिक रूप International Units है। इस मानक के अनुसार किस उम्र समूह के लोगों के शरीर को कितने विटामिन डी की जरूरत होती है जानिए-
जन्म से 12 माह तक – 400 IU
1 साल से 18 साल तक – 600 IU
18 से 70 साल तक – 800 IU
गर्भावस्था व स्तनपान कराने वाली माँ – 600 IU नैनो
विटामिन डी की कमी को दूर करने का इलाज
विटामिन डी की कमी की रोकथाम और इसके लिए अपनाया जाने वाले इलाज का लक्ष्य एक ही है– शरीर में विटामिन डी को पर्याप्त स्तर तक पहुंचने और उसके संतुलन को बनाए रखना। साथ ही सूरज की रोशनी और विटामिन डी की खुराक लेने के लिए कहा जा सकता है।
सुरक्षित रूप से सूरज की रोशनी से कैसे प्राप्त कर सकते हैं
विटामिन डी को “सनशाइन विटामिन” क्यों कहा जाता है, इसका एक कारण है। विटामिन डी शरीर में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाता है, जो स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। उदाहरण के लिए विटामिन डी हमारी आंतों की कोशिकाओं को कैल्शियम और फास्फोरस जैसे खनिजों को सोखने का निर्देश देता है। कैल्शियम और फास्फोरस हड्डियों को मजबूत और स्वस्थ बनाए रखने के लिए आवश्यक होता है। मुख्य रूप से विटामिन डी मछलियों और मांसाहार में पाया जाता है।
यदि आप शाकाहारी हैं तो विटामिन डी पाने के लिए आपको सूरज की रोशनी पर निर्भर रहना पड़ता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सूरज की अल्ट्रावॉयलेट-B किरणें खिड़कियों के माध्यम से आपकी त्वचा में प्रवेश नहीं कर सकती। इसलिए आम तौर पर जो लोग घर के अंदर रहते हैं वे मुख्य रूप से विटामिन डी की कमी से ग्रस्त होते हैं।
कैसे लें सुरक्षित रूप से विटामिन डी जानिए-
गर्मियों के दिनों में, दोपहर के समय सूरज की रोशनी पाने का सबसे अच्छा समय होता है, क्योंकि इस समय सूरज की अल्ट्रावॉयलेट किरणें तेज होती हैं। इसलिए आपको इस समय रोशनी में कम समय के लिए रहना पड़ेगा। कई अध्ययनों में पाया गया है कि कि दोपहर के समय विटामिन डी बनाने में शरीर सबसे सक्षम होता है।
हफ्ते में तीन बार १५-३० मिनट तक धूप में रहने से विटामिन डी पर्याप्त मात्रा में मिल सकता है।
इस से ज़्यादा समय धुप में बिताते हैं तो सनस्क्रीन लगाना उचित होगा।
ज़्यादा धूप में रहने के अपने जोखिम होते हैं जैसे सनबर्न, तापघात और आँखों का नुक्सान। इसलिए सावधानी से धूप का उपयोग करें।