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सलवा जुडुम मामले पर देश के गृहमंत्री अमित शाह की टिप्पणी की चौतरफा घोर निंदा.पूर्व न्यायाधीशों और विधि विशेषज्ञों ने बताया न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर खतरा’ !

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीशों, उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों व न्यायाधीशों, और प्रख्यात विधि विशेषज्ञों ने एक संयुक्त बयान जारी कर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा INDIA गठबंधन के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी के सलवा जुडुम मामले में दिए गए निर्णय की “दुर्भाग्यपूर्ण” और “पूर्वाग्रहपूर्ण गलत व्याख्या” की निंदा की है।

केंद्रीय गृह मंत्री ने रेड्डी पर हमला करते हुए कहा था, “विपक्ष के प्रत्याशी सुर्दशन रेड्डी वही हैं, जिन्होंने वामपंथी उग्रवाद को मदद करने के लिए सलवा जुडूम का जजमेंट दिया था और अगर ये जजमेंट न दिया गया होता तो वामपंथी नक्सलवाद 2020 तक खत्म हो गया होता।

 

उन्होंने आगे कहा, कांग्रेस पार्टी, वामपंथी दलों के दबाव में एक ऐसे उम्मीदवार को मैदान में उतार रही है जिसने नक्सलवाद का समर्थन किया और सुप्रीम कोर्ट जैसे पवित्र मंच का इस्तेमाल किया।

उन्होंने कहा है कि इस प्रकार की सार्वजनिक गलत व्याख्या से सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों पर भय का माहौल बन सकता है, जिससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर असर पड़ सकता है। बयान में उपराष्ट्रपति चुनाव में सभ्यता और गरिमा बनाए रखने की अपील की गई है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा सलवा जुडुम मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की सार्वजनिक रूप से गलत व्याख्या करना दुर्भाग्यपूर्ण है। यह निर्णय कहीं भी, न तो स्पष्ट रूप से और न ही इसके पाठ, निहितार्थ या तर्क से माओवाद या उसकी विचारधारा का समर्थन करता है। भारत के उपराष्ट्रपति के पद के लिए अभियान वैचारिक हो सकता है, फिर भी इसे गरिमा और सभ्यता के साथ चलाया जाना चाहिए। किसी भी उम्मीदवार की विचारधारा की आलोचना करने से बचना चाहिए।

 

 

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