जम्मू कश्मीर

प्रमुख समाजसेवी पुरुषोत्तम सिंह ने फिर साधा चुनाव आयोग पर निशाना, जम्मू कश्मीर में क्यों टाले जा रहे है चुनाव ,जम्मू-कश्मीर के चुनाव टालते रहने के पीछे केंद्र सरकार की मंशा क्या है?

जम्मू कश्मीर में क्यों टाले जा रहे है चुनाव ,जम्मू-कश्मीर के चुनाव टालते रहने के पीछे केंद्र सरकार की मंशा क्या है?

परिसीमन पूरा होने के बाद भी जम्मू-कश्मीर में चुनाव की घोषणा क्यों नहीं की जा रही है ,क्यों चुनाव आयोग विधानसभा चुनाव कराने की घोषणा करने में देरी का कर रहा है ?

नगरोटा विधानसभा क्षेत्र से प्रमुख समाजसेवी पुरुषोत्तम सिंह ने चुनाव आयोग के टाल मटोल वाले रवैय्ये पर बेहद गंभीर सवाल उठाये है उन्होंने कहा जम्मू कश्मीर में इस साल गर्मियों में विधानसभा चुनाव होगा या चुनाव टला रहेगा? यह लाख टके का सवाल है, जिसका जवाब कायदे से चुनाव आयोग के पास होना चाहिए लेकिन ऐसा लग नहीं रहा है कि उसके पास जवाब है स्थानीय लोगो की समस्याओं की कोई सुनवाई करने वाला नहीं है ,लोगो के मुद्दे राजनीती की भेंट चढ़ रहे है !

उन्होंने कहा जम्मू कश्मीर में चुनाव को क्यों टाला जा रहा है…. जम्मू कश्मीर में अफसरशाही … अपनी मन मरजी से काम कर रही है। उपराज्यपाल और केंद्र सरकार जब कह रही है की जम्मू में हालात बिलकुल सामान्य है फिर चुनाव क्यों नहीं…. जनता चाहती है की चुनाव हो और लोग अपने नेताओं को अपनी समस्याओं को लेकर अपने चने हुए नेता को सुना सके मै सामाजिक कार्यकर्ता पुरुषोत्तम सिंह (नगरोटा) गांव से. कटल बतल से मांग करता हूं कि जल्दी से जल्दी चुनाव कराये जाएँ ताकि लोग अपने पीएसएनडी के चुने हुए नेता से अपने स्थानीय मुद्दे हल करा सकें !

उन्होंने कहा इस बार जम्मू और कश्मीर में असेंबली चुनाव बदले-बदले माहौल में होगा. पूर्ण राज्य से केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद यहां कोई विधानसभा चुनाव नहीं हुआ है. अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के हटने के बाद से ये पहला विधानसभा चुनाव होगा. लेकिन होआ का ये यही ही एक बड़ा सवाल है

दरअसल हाल ही में 26 महीने की कवायद के बाद जम्मू-कश्मीर में विधानसभा और लोकसभा सीटों का परिसीमन किया गया है. जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं और पहली बार 9 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित की गई हैं. इसके अलावा पहली बार जम्मू-कश्मीर की सभी 5 लोकसभा सीटों में बराबर-बराबर यानी 18-18 विधानसभा सीटों को रखा गया है. यानी एक लोकसभा क्षेत्र की सीमा में 18 विधानसभा सीटें होंगी. जम्मू क्षेत्र में 43 और कश्मीर क्षेत्र में 47 सीटें हैं. किसी भी एक विधानसभा क्षेत्र की सीमा को एक से अधिक जिले में नहीं रखा गया है.

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