राष्ट्रीय

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल, भी निकला जुमला लोकसभा में सोमवार को पेश नहीं होगा बिल !

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का बिल सोमवार को लोकसभा में पेश नहीं होगा। लोकसभा की संशोधित तालिका में भी यह बिल सूचीबद्ध नहीं है। इस बिल की कॉपी लोकसभा के सभी सांसदों को भेज दी गई है, ताकि वो इसका अध्ययन कर सकें।

इसी महीने 12 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस बिल को मंजूरी दे दी गई थी। कैबिनेट ने दो ड्रॉफ्ट कानूनों को मंजूरी दी थी। जिसमें से एक संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने से संबंधित है, जबकि दूसरा विधेयक विधानसभाओं वाले तीन केंद्र शासित प्रदेशों के एक साथ चुनाव कराने के संबंध में है।

वहीं, वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर राजनीतिक गलियारों में अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कोई इसका समर्थन कर रहा है, तो कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के नेता इसे देश के संघीय ढांचे पर हमला बता रहे हैं।

 

विपक्ष का कहना है कि यह नुकसानदेह होगा, क्योंकि हमारे देश में संघीय ढांचा है। हर क्षेत्र की भाषा और संस्कृति अलग-अलग है। केंद्र के दिमाग में ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ का मतलब एक पार्टी का रूल है। केंद्र सरकार यहां पर एक पार्टी का रूल लाना चाहती है। लेकिन संविधान में उसका कोई स्थान नहीं है। ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ लोग नहीं मानेंगे।

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